बैंक ने खाते से काटी बीमा राशि, कृषि अधिकारी ने कहा, धान की फसल का बीमा देने का नहीं कोई प्रावधान
उकासा नामक बीमारी से पौली गांव में 8 किसानों की धान की फसल खराब हो गई। किसानों ने फसल खराब होने की सूचना कृषि अधिकारी व कर्मचारियों को दी लेकिन अधिकारी फसल देखने के लिए ही नहीं पहुंचे। फसल का कृषि बीमा है जिसकी राशि किसान के खाते से काटी गई है लेकिन जब किसान ने फसल खराब होने की शिकायत दी तो कृषि अधिकारी ने कहा कि धान की फसल का बीमा देने का कोई प्रावधान नहीं है।
संवाद सूत्र, जुलाना : उकासा नामक बीमारी से पौली गांव में 8 किसानों की धान की फसल खराब हो गई। किसानों ने फसल खराब होने की सूचना कृषि अधिकारी व कर्मचारियों को दी लेकिन अधिकारी फसल देखने के लिए ही नहीं पहुंचे। फसल का कृषि बीमा है, जिसकी राशि किसान के खाते से काटी गई है लेकिन जब किसान ने फसल खराब होने की शिकायत दी तो कृषि अधिकारी ने कहा कि धान की फसल का बीमा देने का कोई प्रावधान नहीं है। बीमा पोर्टल से धान की फसल को हटा दिया गया है। बैंक ने खाते से किसान की बीमा की राशि काट ली और धान की फसल का बीमे का कोई प्रावधान नहीं है। किसानों में प्रशासन के प्रति रोष पनप रहा है। पौली गांव के किसान कुलबीर, जितेंद्र, सतपाल, सुखबीर, सतीश ने बताया कि हर वर्ष उनकी फसल पानी से खराब हो जाती थी लेकिन इस बार बीमारी से उनकी फसल खराब हो गई है। धान की फसल पककर तैयार हो गई थी लेकिन अचानक बीमारी से धान की फसल सूख गई है। 30 से 40 हजार रुपये तक ठेके पर जमीन लेकर धान की रोपाई की थी। उनके खाते से बैंक ने बीमा राशि भी काट ली है लेकिन शिकायत के बावजूद कोई भी अधिकारी गिरदावरी के लिए नहीं पहुंचा। बीमारी से 8 किसानों की लगभग 40 एकड़ धान की फसल खराब हो चुकी है।
बैंक ने बीमा के 10 हजार रुपये खाते से काटे : सज्जन
पौली गांव के सज्जन ने बताया बैंक ने 10 हजार रुपये की राशि उसके खाते से कृषि बीमा की काटी जा चुकी है। उसने 10 एकड़ में धान की फसल लगाई है। फसल पकने के बाद अचानक सूख गई और खराब हो गई। अगर धान की फसल बीमा का कोई प्रावधान ही नहीं है तो बैंक ने रुपये क्यों काटे। फसल खराब होने से उसका परिवार सकते में है और उन पर आर्थिक संकट छा गया है।
वर्जन
बैंक ने फसल की बीमा राशि काट ली है लेकिन इस बार धान पर किसी प्रकार का भी मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है किसानों को बैंक कर्मचारियों को अवगत करवाना था कि उनके खाते से बीमा राशि ना काटी जाए।
-डा सूरजमल, खंड कृषि अधिकारी जुलाना।