जहरीली होने लगी शहर की आबोहवा, प्रदूषण का स्तर पहुंचा 300 पार
शहर की आबोहवा अब जहरीली होने लगी है जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। शहर की फिजा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। धान कटाई शुरू होने के साथ ही खेतों में पराली जलने लगी है।
जागरण संवाददाता, जींद : शहर की आबोहवा अब जहरीली होने लगी है, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। शहर की फिजा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। धान कटाई शुरू होने के साथ ही खेतों में पराली जलने लगी है। जिसकी लोकेशन हरसेक से मिलने लगी हैं। अक्टूबर के पहले पखवाड़े में ही एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पर चला गया है। सोमवार शाम को पीएम 2.5 का स्तर 283 था, जो मंगलवार को 300 पर पहुंच गया। सुबह और शाम के समय आसमान में स्मॉग छाया रहा। जिससे ²श्यता कम रही। अगले कुछ दिनों में आसमान में स्मॉग छाया रह सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वायुमंडल में बढ़ता जा रहा यह स्मॉग बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। इससे उन्हें एलर्जी समेत अन्य दिक्कतें हो सकती हैं। सरकार पराली जलाने से रोकने को लेकर सख्त है। किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। लेकिन किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। रात के अंधेरे में पराली में आग लगाई जा रही है। हरसेक से अब तक जिले में फायर की 75 लोकेशन मिल चुकी हैं, जिनमें 48 लोकेशन सही मिली हैं। 27 जगहों पर पराली नहीं जलाई गई थी। इनमें से एक लोकेशन पंजाब और कुछ पड़ोसी जिलों की मिली।
एयर क्वालिटी इंडेक्स
0-60 : सामान्य
60-90 : खराब
90-120 : बेहद खराब
120 से आगे खतरनाक
गांवों में लगाए जा रहे कैंप
पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए जिले में गांवों में रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा था। जिन गांवों में पिछले साल छह या उससे ज्यादा पराली जलाने के मामले आए थे, उन्हें रेड जोन में रखा गया था। वहीं जिन गांवों में एक से पांच मामले आए थे, उन्हें ऑरेंज जोन में और जहां कोई केस नहीं मिला था। उन गांवों को ग्रीन जोन में रखा था। रेड और ऑरेंज जोन वाले गांवों में जागरूकता कैंप लगाए गए। गांवों में कृषि विभाग ने पेंटिग भी बनवाई। सरपंच, ग्राम सचिव और कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। लेकिन इस बार ग्रीन जोन वाले गांवों में पराली जलने के कुछ मामले आए हैं, जो चिताजनक हैं।
किसानों को जारी किए नोटिस : नरेंद्रपाल
कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर नरेंद्रपाल ने बताया कि जिन भी खेतों से फायर की लोकेशन मिली हैं, उन किसानों को नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अलावा संबंधित सरपंचों को भी नोटिस भेजा जाएगा। पराली जलने से जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है। जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ रहा है। किसान पराली को चारे में प्रयोग करें या फिर सीधे खेत में दबाकर खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। रोटावेटर, जीरो टिल ड्रिल, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर समेत काफी ऐसे कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी गई। जिससे आसानी से फसल अवशेष को खेत में ही मिला कर अगली फसल की बिजाई कर सकते हैं।