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तेल का भुगतान नहीं होने पर शुगर मिल का पेट्रोल पंप भी हुआ बंद

शुगर मिल में एमडी ना होने से किसानों के गन्ने का करोड़ों रुपये का भुगतान व सैकड़ों कर्मचारियों का वेतन तो रुका ही हुआ है। अब शुगर मिल का पेट्रोल पंप भी बंद हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 09:19 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 09:19 AM (IST)
तेल का भुगतान नहीं होने पर शुगर मिल का पेट्रोल पंप भी हुआ बंद
तेल का भुगतान नहीं होने पर शुगर मिल का पेट्रोल पंप भी हुआ बंद

जागरण संवाददाता, जींद : शुगर मिल में एमडी ना होने से किसानों के गन्ने का करोड़ों रुपये का भुगतान व सैकड़ों कर्मचारियों का वेतन तो रुका ही हुआ है। अब शुगर मिल का पेट्रोल पंप भी बंद हो गया है। जिससे शुगर मिल और वाहन चालकों की परेशानी बढ़ गई है। इस पेट्रोल पंप पर प्रतिदिन आठ से नौ लाख रुपये की सेल होती है। यहां पानीपत रिफाइनरी से तेल आता है। कुछ दिन तो रिफाइनरी ने शुगर मिल को पेट्रोल पंप के लिए उधार पर तेल दिया। लेकिन अब रिफाइनरी ने भी उधार पर तेल देना बंद कर दिया है। बैंक से एमडी के हस्ताक्षर के बिना मिल प्रबंधन पैसे नहीं निकाल सकता। ऐसे में जब तक शुगर मिल पैसे नहीं देता, तब तक पेट्रोल पंप बंद ही रहेगा। शुगर मिल के सीईओ अनिल मेहता ने बताया कि एमडी राजेंद्र सिंह का पिछले महीने ट्रांसफर हो चुका है। बैंक से पैसे निकालने के लिए एमडी के हस्ताक्षर जरूरी हैं। ऐसे में जब तक एमडी की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक शुगर मिल का पेट्रोल पंप बंद रहेगा।

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500 से ज्यादा कर्मचारियों को वेतन का इंतजार

पिछले महीने शुगर मिल में पेराई का कार्य खत्म हो चुका है। पेराई सीजन पूरा होने के बाद सीजनल कर्मचारी अपने घर चले जाते हैं। लेकिन उन्हें भी वेतन नहीं मिल पाया है। सीजन व नियमित कर्मचारियों समेत शुगर मिल में 500 से ज्यादा कर्मचारी हैं, जिन्हें मई के वेतन का इंतजार है। शुगर मिल में एमडी लगाने या किसी दूसरे अधिकारी को चार्ज देने के लिए डीसी डा. आदित्य दहिया ने प्रदेश सरकार को लिखा हुआ है। लेकिन अभी तक ना तो शुगर मिल को एमडी मिला और ना ही किसी अधिकारी को चार्ज दिया गया।

किसानों का करोड़ों का भुगतान रुका

शुगर मिल ने 31 मार्च तक लिए गन्ने का किसानों को भुगतान किया है। उसके बाद का करीब 27 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है। ये भुगतान भी बगैर एमडी के नहीं हो सकता है। वहीं मिल में अलग-अलग कार्यों का ठेका लेने वाले ठेकेदारों की पेमेंट भी नहीं हो पाई है। वहीं मिल की पेराई क्षमता बढ़ाने का मामला भी ठंडे बस्ते में पड़ा है।


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