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समय पर एनओसी नहीं लेने से अमृत योजना का काम अटका, मानसून में फिर डूबेगा शहर

प्रदेश में जून के अंत तक मानसून दस्तक दे देगा लेकिन प्रशासन अभी तक हाथ बांधे बैठा है। मानसून के दौरान सबसे अधिक परेशानी पानी निकासी की होती है लेकिन जलभराव से बचने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। बीएंडआर एनएचएआइ रेलवे पब्लिक हेल्थ एनओसी मिलना बाकी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 07:00 AM (IST)
समय पर एनओसी नहीं लेने से अमृत योजना का काम अटका, मानसून में फिर डूबेगा शहर
समय पर एनओसी नहीं लेने से अमृत योजना का काम अटका, मानसून में फिर डूबेगा शहर

जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश में जून के अंत तक मानसून दस्तक दे देगा, लेकिन प्रशासन अभी तक हाथ बांधे बैठा है। मानसून के दौरान सबसे अधिक परेशानी पानी निकासी की होती है, लेकिन जलभराव से बचने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। शहर के नाले गंदगी से पटे पड़े हैं। इससे शहर को लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। वहीं शहर की सरकार के दावे भी धरे रह गए हैं। अमृत योजना के तहत करीब 19 करोड़ रुपये से बारिश के पानी की निकासी के लिए पिछले साल मानसून सीजन में पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया था। उस समय बड़े-बड़े दावे नगर परिषद ने किए थे और कहा गया था कि अगले साल शहर को जल भराव की समस्या से निजात दिला देंगे, लेकिन आधी-अधूरी तैयारी के साथ पाइप लाइन दबाने का काम अधर में लटक गया। इसके पीछे नगर परिषद अधिकारियों की ही लापरवाही जिम्मेदार है। उस समय आनन-फानन में बगैर किसी डिपार्टमेंट से एनओसी लिए काम शुरू कर दिया गया। जो बीच में रोकना पड़ा। सालभर में नगर परिषद को केवल वन विभाग से ही एनओसी मिली है।

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बीएंडआर, एनएचएआइ, रेलवे, पब्लिक हेल्थ एनओसी मिलना बाकी है। जब तक एनओसी लेकर नगर परिषद काम शुरू करेगी, तब तक मानसून दस्तक दे देगा। पिछले साल जब मानसून ने दस्तक दी, तो 80 एमएम बारिश में ही सेक्टरों में घरों में पानी भर गया था और बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे।

पांच दशक बाद भी निकासी नहीं

हरियाणा गठन के बाद से अब तक शहर में बरसाती पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। सामान्य सीवर लाइन के जरिये ही जनस्वास्थ्य विभाग बरसाती पानी को पंप से लिफ्ट कर कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजता है। शहर के सीवेज के साथ बरसाती पानी भी मिलने से करीब 40 साल पुरानी सीवर लाइन व्यवस्था हांफ जाती है। नतीजा यह होता है कि शहर की सड़कों से लेकर कॉलोनियों की गलियों तक में पानी भरा रहता है। इसकी निकासी में प्रशासन को आठ से दस घंटे लग जाते हैं। अर्बन एस्टेट, हाउसिग बोर्ड, स्कीम नंबर पांच और छह, भारत सिनेमा से कन्या स्कूल की तरफ, रामबीर कालोनी, रोहतक रोड की सभी कॉलोनियां, शिव कॉलोनी की मुख्य सड़कों पर बरसात के दौरान लोगों को सबसे अधिक परेशानी होती है। पानी निकासी के लिए फिलहाल गोहाना रोड, बाल भवन रोड, सफीदों रोड, रानी तालाब के साथ, एसडी स्कूल पर नाले बनाए गए हैं। सफाई नहीं होने से ये नाले बारिश के पानी की निकासी के बजाय आफत का कारण बन सकते हैं।

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यूं समझें शहर की निकासी व्यवस्था

शहर का बरसाती पानी तीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में जाता है। इसमें हांसी रोड स्थित जनस्वास्थ्य विभाग का 15 एमएलडी, गोहाना रोड पर हुडा का 10 एमएलडी और नरवाना रोड पर जनस्वास्थ्य विभाग का पांच एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहे हैं। नरवाना रोड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में पटियाला चौक क्षेत्र का ही पानी जाता है। वहीं, अर्बन एस्टेट और नए सेक्टरों का पानी गोहाना रोड पर जाता है। इसके अलावा पूरे शहर का पानी हांसी रोड स्थित 15 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जाता है। इसके लिए तीन बूस्टर काम करते हैं। इसके तहत पहले रोहतक रोड क्षेत्र का पानी निकाला जाता है। इसके बाद बस स्टैंड बूस्टर से पानी उठाया जाता है। इसमें स्टेडियम बूस्टर का पानी भी साथ चलता है। इसके बाद काठ मंडी बूस्टर को चलाया जाता है। ऐसे में भटनागर कॉलोनी बूस्टर और काठ मंडी बूस्टर का नंबर बहुत देरी से आता है। जब तक आधा शहर बारिश के पानी से घिरा रहता है।

तीन विभागों में उलझा सफाई का मामला

शहर में बरसाती पानी निकासी के लिए मुख्य तौर पर नगर परिषद का काम है, लेकिन नगर परिषद के सारे नाले आखिरकार आकर सीवर लाइन में ही मिलते हैं। सीवर लाइन में पानी आने के बाद यह काम जन स्वास्थ्य विभाग का हो जाता है। इसमें सबसे बड़ा मामला मुख्य सड़कों के साथ बने नाले हैं। इन नालों का निर्माण बीएंडआर ने कराया है, लेकिन इनकी सफाई का जिम्मा कोई भी उठाने को तैयार नहीं है। यही नाले बरसाती पानी की निकासी में सबसे अधिक बाधक बनते हैं।

शहर में सीवर लाइनों की लगातार सफाई की जा रही है। मानसून से पहले पूरे शहर को कवर कर देंगे। इसके लिए योजना तैयार की गई है। डिस्पोजल पंपों को तैयार किया जा रहा है।

संजय शर्मा, एक्सईएन, जनस्वास्थ्य विभाग। मार्च में उन्होंने ज्वॉइन किया था। कुछ विभागों से एनओसी नहीं मिलने की वजह से पाइप लाइन दबाने में देरी हो रही है। एनओसी की प्रक्रिया चल रही है। एनओसी मिलते ही जल्द काम पूरा कराया जाएगा।

अरुण सिंह, ईओ, नगर परिषद, जींद

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