एंबुलेंस चालक भी कोरोना के असली योद्धा, दिन-रात रहते हैं ऑन ड्यूटी
कोरोना महामारी से निपटने की खातिर प्रशासनिक अधिकारी पुलिस चिकित्सक स्टाफ नर्स समेत दूसरे सदस्य दिन-रात अपनी ड्यूटी कर लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में जुटे हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना महामारी से निपटने की खातिर प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, चिकित्सक, स्टाफ नर्स समेत दूसरे सदस्य दिन-रात अपनी ड्यूटी कर लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में जुटे हैं। इन सब के बीच कुछ ऐसे और भी लोग हैं, जो कोरोना की जंग के सच्चे सिपाही हैं। ये सिपाही हैं एंबुलेंस चालक, जो कोरोना संक्रमित और आशंकित लोगों को एंबुलेंस के जरिए नागरिक अस्पताल और पीजीआइ रोहतक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। यह चालक दिन-रात ऑन ड्यूटी रहते हैं। सूचना मिलते ही मौके पर एंबुलेंस लेकर पहुंच जाते हैं। नागरिक अस्पताल की एंबुलेंस पर तीन का स्टाफ तैनात हैं, जिनमें एक चालक और दो ईएमटी यानि इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन तैनात होते हैं। यह लोग कोरोना योद्धा से कम नहीं हैं, क्योंकि कोरोना संक्रमित हो या फिर आशंकित, इन्हें ही एंबुलेंस में नागरिक अस्पताल तक लेकर आना होता है। ऐसे में इनकी ड्यूटी ज्यादा रिस्क भरी होती है, बावजूद इसके यह लोग अपनी ड्यूटी को पूरी लग्न और ईमानदारी के साथ कर रहे हैं।
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अपने ही घर में रह रहे अलग : अमित
एंबुलेंस पर तैनात ईएमटी अमित ने बताया कि कोरोना संक्रमित या आशंकित को अस्पताल लाते समय काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। मरीज को अस्पताल में पहुंचाकर पूरी एंबुलेंस के साथ-साथ खुद को सैनिटाइज करते हैं। खुद के ही घर में अलग रहना पड़ता है, ताकि परिवार सेफ रहे। जिस दिन से कोरोना आशंकितों लाने और छोड़ने में ड्यूटी लगी है, तभी से घर में एक कमरा स्पेशल खुद के लिए रखा है, उसी में खाना आता हैं और वहीं से वह सीधे ड्यूटी पर आ जाते हैं।
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हर वक्त रहना पड़ता है तैयार : रोशन लाल
एंबुलेंस चालक रोशन लाल ने बताया कि उन्हें हमेशा तैयार रहना पड़ता है। कंट्रोल रूम से कभी भी कॉल आ जाती है और उन्हें मौके पर पहुंचना होता है। पूरी सावधानी बरतनी पड़ती है। घर में कपड़े भी खुद ही धोते हैं और गर्म पानी में डिटोल डालकर नहाने के बाद ही परिवार से मिलते हैं। परिवार के सदस्य खाना कमरे में ही पहुंचा देते हैं। हर समय ड्यूटी के लिए तैयार रहना पड़ता है।
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ड्यूटी से नहीं घबराते : शक्ति
ईएमटी शक्ति ने बताया कि ड्यूटी करने में वह किसी भी प्रकार से कोताही नहीं बरतते। इस समय तो बिल्कुल भी नहीं, जब देश पर विपदा पड़ी है। कोरोना संक्रमित हो या आशंकित उन्हें अस्पताल तक सुरक्षित पहुंचाने की ड्यूटी उनकी है। उनके साथ ही उन्हें बैठना पड़ता है, इसलिए खुद की सुरक्षा भी करनी होती है।