हार के बाद कांग्रेस-जजपा नेताओं की चिता बढ़ी, भाजपा में टिकटार्थियों की भीड़
लोकसभा चुनाव में जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की बड़ी जीत से कांग्रेस और जजपा के नेताओं की चिता बढ़ गई है। दोनों दलों के जो नेता आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट लेने के इच्छुक थे उन्हें अब नई रणनीति बनाकर चुनाव लड़ने के बारे में सोचना होगा।
कर्मपाल गिल, जींद
लोकसभा चुनाव में जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की बड़ी जीत से कांग्रेस और जजपा के नेताओं की चिता बढ़ गई है। दोनों दलों के जो नेता आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट लेने के इच्छुक थे, उन्हें अब नई रणनीति बनाकर चुनाव लड़ने के बारे में सोचना होगा। वहीं, जींद को छोड़कर उचाना, नरवाना, जुलाना व सफीदों में भाजपा के टिकट पाने के लिए नेताओं की लंबी लाइन लग गई है। इन चारों हलकों में सक्रिय भाजपा नेता टिकट के लिए पूरी ताकत लगा देंगे।
सिरसा, हिसार व सोनीपत लोकसभा से भाजपा प्रत्याशियों को जींद व सफीदों हलके में 40 हजार से ज्यादा की लीड मिली तो नरवाना में यह आंकड़ा 50 हजार को क्रॉस कर गया। उचाना में सबसे कम नौ हजार और जुलाना में 11 हजार की लीड रही। सफीदों, नरवाना व जुलाना विधानसभा में अभी तक एक बार भी कमल नहीं खिला है। अब बदले हालात ने जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों से जजपा व कांग्रेस के नेताओं के माथे पर पसीना ला दिया है। इन दलों के नेता यही माथापच्ची करने में जुटे हैं कि भाजपा को इतने वोट कैसे मिल गए। कांग्रेस नेता प्रमोद सहवाग, अंशुल सिगला व प्रदीप गिल कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में मोदी के नाम पर वोट पड़ी हैं, लेकिन विधानसभा में तस्वीर इसके उलट होगी। तब प्रदेश व विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाएगा। जजपा के जिला प्रधान कृष्ण राठी व अशोक गोयल उर्फ लीलू कहते हैं कि विधानसभा चुनाव का गणित पूरी तरह अलग होता है। उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू करने वाली है। पांच साल में प्रदेश सरकार की विफलता और स्थानीय लोगों की समस्याओं को लेकर जनता के बीच जाएंगे।
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जींद विधानसभा
कभी इनेलो का गढ़ रही जींद विधानसभा सीट पर भाजपा मजबूत स्थिति में पहुंच गई है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा से कृष्ण मिढ़ा की टिकट लगभग पक्की है। कांग्रेस से प्रमोद सहवाग, बलजीत रेढू, अंशुल सिगला, प्रदीप गिल, सुरेश गोयत, रघुबीर भारद्वाज और जजपा में अशोक गोयल लीलू, विजेंद्र रेढू, प्रवीन बैनीवाल, लक्ष्मी नारायण बंसल सक्रिय हैं। फिलहाल भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में कोई नेता नहीं दिख रहा है।
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सफीदों विधानसभा
अभी सफीदों से निर्दलीय विधायक जसबीर देशवाल हैं। अगले चुनाव से पहले वह किस पार्टी में शामिल होते हैं, इस पर जितने मुंह उतनी बातें। देशवाल के भाजपा के कई बड़े नेताओं से अच्छे संपर्क हैं। लेकिन भाजपा में अमरपाल राणा, विजयपाल एडवोकेट, बचन सिंह, युवा कोटे से जसमेर रजाना, राजू मोर दावेदार हैं। कांग्रेस से कर्मवीर सैनी, युवा रविद्र देशवाल, वीना देशवाल व जजपा से कृष्ण राठी, विनोद सिगला सक्रिय हैं।
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जुलाना विधानसभा
भाजपा के लिए जुलाना में संजीव बुआना ही ज्यादा सक्रिय रहे हैं। विधायक परमेंद्र ढुल के भी भाजपा में जाने की चर्चाएं हैं। कौशिक को जुलाना से बढ़त मिलने पर यहां टिकट के लिए पूरी जोर-आजमाइश रहेगी। कांग्रेस से जगबीर ढिगाना, प्रो. धर्मेंद्र ढुल, धर्मपाल कटारिया सक्रिय हैं। जजपा से सूरजभान काजल, प्रताप लाठर, शामलो कलां के पूर्व सरपंच सुरजीत मलिक टिकट के इच्छुक हैं।
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नरवाना विधानसभा
बांगर का गढ़ रही नरवाना सीट पर कांग्रेस, जजपा व भाजपा की टिकट के लिए कई चेहरे लाइन में हैं। पिछली बार भाजपा ने बीरेंद्र सिंह की सिफारिश पर संतोष दनौदा को टिकट दी थी, लेकिन वह हार गई थी। इस बार संतोष, रामफल लोट, जोरा सिंह बडनपुर, सुमन बेदी, भगवती बागड़ी भी टिकट की लाइन लंबी है। जजपा से पिरथी नंबरदार, डॉ. बलराज दनौदा, प्रीतम मेहरा भी लाइन में हैं। कांग्रेस से विद्या रानी, रामनिवास सुरजाखेड़ा, प्रभा माथुर भीखेवाला, सतबीर दबलैन, दलबीर बेलरखां टिकट के इच्छुक हैं।
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उचाना विधानसभा
उचाना हलके में 1977 से बीरेंद्र सिंह इतना बड़ा चेहरा बन गए थे कि किसी पार्टी से दूसरा बड़ा नेता नहीं उभर पाया। अब भाजपा से उनकी पत्नी प्रेमलता विधायक हैं। जजपा से चौटाला परिवार के सदस्य को छोड़कर कोई बड़ा चेहरा उन्हें टक्कर देने वाला नहीं है। यही हाल कांग्रेस का है। हालांकि अब बृजेंद्र के सांसद बनने पर भाजपा भी विधानसभा का सीट किसी नए चेहरे को दे सकती है। लेकिन बीरेंद्र सिंह आसानी इस सीट को नहीं छोड़ेंगे।
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