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जुलाना में 50 हजार एकड़ फसल हुई थी तबाह, रिपोर्ट में 4075 एकड़ ही दिखाइ

जागरण संवाददाता, जींद : जिलेभर में बारिश से खराब हुई फसलों की गिरदावरी रिपोर्ट तैयार

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 11:58 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 11:58 PM (IST)
जुलाना में 50 हजार एकड़ फसल हुई थी तबाह, रिपोर्ट में 4075 एकड़ ही दिखाइ
जुलाना में 50 हजार एकड़ फसल हुई थी तबाह, रिपोर्ट में 4075 एकड़ ही दिखाइ

जागरण संवाददाता, जींद : जिलेभर में बारिश से खराब हुई फसलों की गिरदावरी रिपोर्ट तैयार हो गई है। प्रशासन की रिपोर्ट में बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित जुलाना में कुल 4075 एकड़ में ही फसल खराब दिखाई गई है, जबकि हकीकत यह है कि पांच हजार एकड़ में गेहूं की बिजाई पर ही संकट के बादल हैं।

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प्रशासन की गिरदावरी रिपोर्ट को सिरे से नकारते हुए जुलाना के विधायक परमेंद्र ढुल ने कहा कि यह चंडीगढ़ में सीएम हाउस में तैयार की गई है। वह विधानसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे। बुधवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में ढुल ने गिरदावरी रिपोर्ट को किसानों के साथ ज्यादती करार दिया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए जलभराव से सिर्फ जुलाना क्षेत्र में ही 50 हजार एकड़ से ज्यादा फसल तबाह हुई थी, जबकि प्रशासन की गिरदावरी रिपोर्ट में जिलेभर में ही 11,523 एकड़ में फसल में नुकसान दिखाया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार 7436 एकड़ में धान में बर्बाद हुई है। 3119 एकड़ में कपास फसल खराब हुई है। जुलाना में जहां धान में केवल 2946 एकड़ में बर्बादी लिखी गयी है, वहीं कपास में 1122 एकड़ में फसल खराबा दर्शाया गया है। इसी प्रकार अन्य फसलों का खराबा 7 एकड़ माना गया है। जबकि इतना नुकसान तो एक बड़े गांव में ही हो गया था। ऐसा लग रहा है कि यह रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों द्वारा जलभराव ग्रस्त खेतों व गांवों में मौके का जायजा लेकर नहीं बल्कि चंडीगढ़ में बैठकर बनाई गई है। -- ढाई महीने बाद भी गांवों में पानी खड़ा

जुलाना हलके के कई गांवों में अभी तक खेतों में पानी खड़ा हुआ है। विधायक ढुल ने कहा कि यह जलभराव पिछले साल की तरह सरकार की विफलता और लापरवाही से हुआ था। सरकार की जिम्मेवारी बनती थी की तुरंत प्रभाव से पीड़ित किसानों को 25 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि दी जाए। लेकिन ढाई महीने बाद भी दर्जनभर गांवों में खेतों में पानी ज्यों का त्यों खड़ा है। लगभग दस हजार एकड़ के करीब खेतों में रबी की बिजाई तक संभव नहीं हो पा रही है। खुद सरकार के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने जलभराव का हवाला देते हुए चार गांवों में जलघर बनाने के काम को रोका हुआ है। ऐसे में सरकार द्वारा तैयार की गयी गिरदावरी रिपोर्ट सही कैसे हो सकती है? यह रिपोर्ट भाजपा द्वारा किसानों तथा क्षेत्रवासियों के प्रति दुश्मनी निकालने का जरिया भर है। -- सीएम को सौंपे थे फोटो व वीडियो

विधायक ढुल ने कहा कि अक्टूबर में इनेलो के सभी विधायक मुख्यमंत्री से मिले थे। तब उन्होंने जलभराव की समस्या, उसके कारण तथा समाधान विस्तार से बताये थे। तब 25 हजार प्रति एकड़ की दर से 50 हजार एकड़ से ज्यादा की फसल में मुआवजे की मांग रखी गयी थी। उन्होंने वीडियो तथा फोटो भी मुख्यमंत्री को सौंपे थे। सरकार के एक बड़े मंत्री के आदेशों पर जुलाना से जलभराव को रोका गया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने केवल हैरानी जताई थी। ढुल ने दावा किया कि बैठक में स्वयं मुख्यमंत्री ने स्वीकारा था की इस बार नुकसान पिछले गत वर्ष से भी तीन गुना है। पिछली बार गिरदावरी में लगभग 18 हजार एकड़ का खराबा दर्शाया गया था। ऐसे में अब महज 4000 एकड़ का खराबा दर्ज किया गया है, जो किसानों से धोखा है।


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