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48 बसों के यात्रियों का आधी राह सफर हुआ मुश्किल

हिमांशु गोयल, जींद रोडवेज में खस्ता हाल में चल रही बसों की हर माह किसी ना किसी रूट प

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 01:27 AM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 01:27 AM (IST)
48 बसों के यात्रियों का आधी राह सफर हुआ मुश्किल
48 बसों के यात्रियों का आधी राह सफर हुआ मुश्किल

हिमांशु गोयल, जींद

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रोडवेज में खस्ता हाल में चल रही बसों की हर माह किसी ना किसी रूट पर औसतन छह बसें ब्रेक डाउन हो जाती हैं। इसका खामियाजा बस में सवार यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। ब्रेक डाउन होते ही यात्रियों को आधे रास्ते में उतार दिया जाता है।

जींद डिपो में इसी साल अप्रैल माह से नवंबर तक 48 बसों के ब्रेक डाउन हो चुके हैं। ब्रेक डाउन होने के बाद बस को ड्राइवर वर्कशॉप में लाकर खड़ी कर देते हैं। पिछले नवंबर माह में भी 7 बसों के ब्रेक डाउन हो चुकी हैं। इतना ही नहीं इन बसों में कोई छोटी मोटी खराबी हो जाती है, तो ड्राइवर वहीं आस पास ही ठीक करवा लेता है। लेकिन ऐसे एकाध ही ड्राइवर जो बसों को ठीक करवा लेते हैं अन्यथा ड्राइवर बस में थोड़ी कमी होते ही जींद वापस लाने की कोशिश करता है। बीस रास्ते में अगर कोई ज्यादा बड़ा फाल्ट आता है तो उस बस को क्रेन की सहायता से लाया जाता है।

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केस एक

बस संख्या 7850 बीच रास्ते में दुर्घटना का शिकार हो गई थी, जिसके बाद इस बस को रिपेयर के लिए गुरुग्राम में भेजा गया। वहां से यह बस जींद की वर्कशॉप में डेढ़ माह बाद आई। यह बस डिपो में नई शामिल हुई थी। गनीमत यह रही थी कि बस में सवारी कम थी ओर हादसा भी कोई बड़ा नहीं था। लेकिन बस को जींद लाने की वजह सीधा गुरुग्राम में भेजा गया। जींद वर्कशॉप में कर्मचारियों की कमी है।

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केस दो---

बस संख्या 2425 का बीस रास्ते में रूट पर इंजन में दिक्कत हो गई थी ओर बस को वहीं रोक यात्रियों को उतार दिया गया। जिसके बाद बस ले जा रहे ड्राइवर ने इसकी सूचना वर्कशॉप में दी। इस बस को क्रेन की सहायता से वर्कशॉप में लाया तो गया, लेकिन इसके इंजन को रिपेयर के लिए करनाल भेज दिया गया। करनाल से यह इंजन रिपेयर होकर करीब दो माह बाद वापस आया।

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एक बस पर चाहिए दस, कर्मचारी काम करता एक

डिपो में हर माह होने वाली बसों के ब्रेक डाउन होने के बाद उनको ठीक करने के लिए वर्कशॉप में एक बस पर कम से कम 20 के करीब कर्मचारियों की आवश्कता होती है। लेकिन मौजूदा स्थिति में एक बस पर एक ही कर्मचारी काम करता है, उसके साथ एक अप्रेंटिसशिप होता है। जिसकी वजह से दूसरी बसों की देखभाल नहीं हो पाती है। उदाहरण के तौर पर अगर एक दिन में 3 बसों के ब्रेक डाउन हो जाते है तो उस समय में एक समय में एक की ही सर्विस हो पाती है।

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बसों के ब्रेक डाउन होने का मुख्य कारण है वर्कशॉप में कर्मचारियों की कमी है। क्योंकि अगर कर्मचारी पूरे हो तो समय समय पर बसों की देखभाल हो सकती है। नवंबर माह में भी 7 बसों के ब्रेक डाउन हो चुके है।

गुलाब ¨सह दूहन, डब्ल्यूएम, रोडवेज, जींद


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