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शहर के 47 हजार बिजली कनेक्शन उपभोक्ता पूरा बिल भरकर भी झेल रहे कट

गर्मी के साथ बिजली कटों ने शहर के लोगों को परेशान कर दिया है। दिन और रात अनगिनत बार लंबे-लंबे बिजली कट लग रहे हैं। शहर के लोगों में इस बात को लेकर ज्यादा गुस्सा है कि वे हर महीने पूरा बिल भरते हैं, बावजूद इसके बिजली कट झेलने पड़ रहे हैं। बिजली निगम ओवरलोड का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेता है। जब लोग पूरा बिल भर रहे हैं तो उसे ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ानी चाहिए। शहर के लोगों को परेशान कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 01:01 AM (IST)
शहर के 47 हजार बिजली कनेक्शन उपभोक्ता पूरा बिल भरकर भी झेल रहे कट
शहर के 47 हजार बिजली कनेक्शन उपभोक्ता पूरा बिल भरकर भी झेल रहे कट

जागरण संवाददाता, जींद : गर्मी के साथ बिजली कटों ने शहर के लोगों को परेशान कर दिया है। दिन और रात अनगिनत बार लंबे-लंबे बिजली कट लग रहे हैं। शहर के लोगों में इस बात को लेकर ज्यादा गुस्सा है कि वे हर महीने पूरा बिल भरते हैं, बावजूद इसके बिजली कट झेलने पड़ रहे हैं। बिजली निगम ओवरलोड का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेता है। जब लोग पूरा बिल भर रहे हैं तो उसे ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ानी चाहिए।

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शहर में कई दिनों से रात-दिन कट लगने के कारण शेड्यूल के अनुसार पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है। शहरवासियों को ग्रामीणों द्वारा बिजली का बिल नहीं भरने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बगैर बिल भरे भी ग्रामीण अंधाधुंध बिजली का दोहन करते हैं, जिससे ओवरलोड बढ़ने से शहर में भी निगम द्वारा अघोषित कट लगाए जाते हैं।

बिजली निगम के डिफॉल्टरों की सूची में प्रदेश में प्रथम स्थान पर काबिज जींद जिले पर करीब 1562 करोड़ रुपये की देनदारी है। जिले में बिजली निगम के करीब पौने तीन लाख कनेक्शन उपभोक्ता हैं, जिनमें डेढ़ लाख से ज्यादा ग्रामीण कनेक्शन उपभोक्ता हैं। डेढ़ लाख कनेक्शन उपभोक्ताओं से बिल भरने वालों की बात करें, तो महज 25 से 30 हजार कनेक्शन उपभोक्ता ही रूटिन में बिल भरते हैं और ग्रामीण उपभोक्ताओं पर 1400 करोड़ से ज्यादा की देनदारी बाकी है। वहीं जींद शहर की बात करें, तो शहर में करीब 47 हजार कनेक्शन उपभोक्ता हैं, जिनमें से ज्यादातर समय पर अपना बिल अदा करते हैं। शहर में समय पर बिल भरने के चलते निगम ने 24 घंटे बिजली का शेड्यूल बनाया है, वहीं गांवों में 12 घंटे बिजली सप्लाई दी जाती है। लेकिन गांवों में जो लोग बिल नहीं भरते हैं, वे अंधाधुंध तरीके से हीटर व अन्य उपकरण चलाते हैं और उन्हें बगैर बिल भरे ही आराम से 10 से 12 घंटे बिजली मिल रही है। वहीं, ईमानदारी से बिजली प्रयोग करके समय पर बिल भरने वाले लोगों को अघोषित कटों का सामना करना पड़ता है।

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ग्रामीणों की वजह से ही मिल रही महंगी बिजली

बिजली निगम के अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों द्वारा बिजली बिल नहीं भरने के कारण निगम का लगातार घाटा बढ़ रहा है। इस घाटे को कम करने के लिए निगम द्वारा समय-समय पर बिजली की रेट बढ़ा दिए जाते हैं। जिसका सीधे तौर पर शहरी उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ता है, क्योंकि ग्रामीण उपभोक्ता बिल ही नहीं भरते हैं।

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शहर में बिल न भरने पर काट देते हैं कनेक्शन

शहर में अगर उपभोक्ता समय पर बिल नहीं भरता है, तो निगम के कर्मचारी उसका कनेक्शन काटने के लिए पहुंच जाते हैं। कनेक्शन न कट जाए, इस डर से वे समय पर अपना बिल भरते हैं। वहीं गांवों में कनेक्शन कट भी जाता है, तो लोग बिजली लाइनों पर सीधे कुंडी सिस्टम से सप्लाई जोड़ लेते हैं।

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सरकार के निर्देशानुसार शहर व गांवों का शेड्यूल बनाया जाता है। शेड्यूल के अनुसार ही बिजली सप्लाई दी जाती है। निगम द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर बिल नहीं भरने वालों व बिजली चोरी करने वालों पर कार्रवाई की जाती है।

एसएस राय, एक्सईएन, बिजली निगम, जींद डिविजन

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फोटो: 20

--हॉटलाइन बिछवाने के बावजूद 14 घंटे चलाना पड़ रहा जनरेटर

जींद। बिजली कटों से घरेलू उपभोक्ताओं के साथ औद्योगिक इकाइयों को भी परेशानी हो रही है। घंटों तक जनरेटर चलाकर उत्पादन करना पड़ रहा है। लक्ष्य मिल्क प्लांट के एमडी बलजीत रेढू ने बताया कि उसने करोड़ों रुपये खर्च करके हॉटलाइन बिछवाई हुई है। उसका अलग फीडर होने के बावजूद हर रोज 8 से 10 घंटे ही बिजली मिल पाती है। कई दिनों से लगातार 14 से 15 घंटे तक कट जनरेटर चलाकर उत्पादन करना पड़ रहा है। इससे खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है। लगातार घंटों तक चलने के कारण कई बार जनरेटर भी गर्म होकर बोल जाते हैं। जनरेटर एक घंटे में 100 लीटर डीजल खर्च कर देता है, जिस कारण हर रोज लाख रुपये से ज्यादा का तेल ही खर्च हो रहा है। रेढू ने बताया कि वह हर महीने 50 से 60 लाख रुपये बिजली का बिल भरते हैं, फिर भी बिजली नहीं मिल रही है। उद्योगों के लिए सरकार को 24 घंटे बिजली सप्लाई की व्यवस्था करनी चाहिए। उद्योगों में उत्पादन बढ़ेगा तो सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।


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