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जींद में मांगें पूरी न होने से गुस्साए 300 दलितों ने किया धर्म परिवर्तन

छह माह से धरने पर बैठे दलित समाज के लगभग 300 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया। बौद्ध भिक्षुओं ने सामूहिक रूप से यह धर्म परिवर्तन कराया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 02:35 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 08:48 PM (IST)
जींद में मांगें पूरी न होने से गुस्साए 300 दलितों ने किया धर्म परिवर्तन
जींद में मांगें पूरी न होने से गुस्साए 300 दलितों ने किया धर्म परिवर्तन

जेएनएन, जींद। यहां 187 दिनों से धरने पर बैठे दलित समाज के लगभग 300 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया। बौद्ध भिक्षुओं ने सामूहिक रूप से यह धर्म परिवर्तन कराया। दलित नेता दिनेश खापड़ का कहना है कि विभिन्न मांगों को लेकर दलित समाज के लोग पिछले लगभग 6 महीने से धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही।

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खापड़ ने कहा कि वे सरकार से कोई नई मांग नहीं मांग रहे बल्कि उन मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं जिनके बारे में सरकार खुद पहले ही पूरा करने की घोषणा कर चुकी है। सरकार करीबन 30 फीसद छोटी-छोटी मांगों को तो मान चुकी लेकिन जो बड़ी-बड़ी मांगें हैं वे अभी भी अधर में लटकी हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में हुए कई दलित सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में सीबीआइ जांच करवाई जानी बाकी है, उनके परिवारों को नौकरी दी जानी बाकी हैं, उनके परिवारों को सुरक्षा दी जानी बाकी है। कई दलित शहीदों के मामले में स्मारक बनाने, नौकरी देने की मांग बाकी है। खापड़ का कहना है कि इन सब मांगों को लेकर कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही।

उन्होंने कहा कि दो माह पूर्व भी जब सरकार ने मांगे नहीं मानी तो 120 दलितों को मजबूर होकर दिल्ली के लदाख बुद्ध भवन में जाकर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा था। अब एक बार फिर दलित बौद्ध धर्म अपनाने पर मजबूर हैं। खापड़ का कहना है कि सरकार को कई दिन पहले ही यह चेतावनी दे दी गई कि यदि 15 अगस्त से पहले उनकी मांगे नहीं मानी तो एक हजार से ज्यादा दलित 15 अगस्त को आजादी के दिन हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने पर मजबूर होंगे। खापड़ का कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से कोईं संदेश उन्हें नहीं मिला है ऐेसे में धर्म परिवर्तन किया गया है।

धर्म परिवर्तन करने वालों में शामिल छातर गांव के 2015 में जम्मू कश्मीर के कठुआ में शहीद हुए जवान सतीश के परिजनों ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य को आज तक नौकरी नहीं मिली है। यही नहीं, गांव में शहीद सतीश के नाम का कोई स्मारक भी नहीं मिला है।

1985 में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए सूबे सिंह के लड़के ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि 18 साल का होने के बाद उनको नौकरी दे दी जाएगी, लेकिन 2001 में 18 साल उम्र पूरी करने के बाद अब तक धक्के खाने को मजबूर है, इसलिए आज पूरे परिवार के साथ धर्म परिवर्तन किया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह से लेकर हर जगह धक्के खा चुके है लेकिन न्याय नहीं मिला है।

दलितों की मांगें मेरे संज्ञान में नहींः धनखड़

वहीं, प्रदेश के कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने कहा कि धर्म जीवन से बड़ा होता है और मांगों के लिए कभी भी धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दलित समाज की क्या मांगें हैं उनके संज्ञान में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मांगों के लिए धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए क्योंकि मांगें तो बदलती रहती है।

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