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हे¨डग: एससी/एसटी एक्ट को मूलरूप में बहाल करने के विरोध में दो घंटे बंद रही 1150 दुकानें

एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार द्वारा मूलरूप में बहाल करने के विरोध में वीरवार को शहर के बाजार सुबह दो घंटे तक बंद रहे। सवर्णो और पिछड़ों ने भारत बंद में शामिल होकर केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्सा जताया। शहर के मुख्य बाजारों में बंद पूरी तरह सफल रहा और 1150 से ज्यादा दुकानें 11 बजे के बाद खुलीं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 09:12 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 09:12 AM (IST)
हे¨डग: एससी/एसटी एक्ट को मूलरूप में बहाल करने के विरोध में दो घंटे बंद रही 1150 दुकानें
हे¨डग: एससी/एसटी एक्ट को मूलरूप में बहाल करने के विरोध में दो घंटे बंद रही 1150 दुकानें

जागरण संवाददाता, जींद : एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार द्वारा मूलरूप में बहाल करने के विरोध में वीरवार को शहर के बाजार सुबह दो घंटे तक बंद रहे। सवर्णो और पिछड़ों ने भारत बंद में शामिल होकर केंद्र सरकार के खिलाफ गुस्सा जताया। शहर के मुख्य बाजारों में बंद पूरी तरह सफल रहा और 1150 से ज्यादा दुकानें 11 बजे के बाद खुलीं।

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शहर के पिछड़ा और स्वर्ण समाज के लोगों और व्यापारियों ने सुबह प्रमुख बाजारों को बंद करवाकर टाउन हाल पर धरना दिया। स्वर्ण व पिछड़ा समाज के लोगों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी एक्ट में सुधार किया था। इसके तहत एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने के बाद तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। यह कोर्ट का बहुत ही सराहनीय कदम था ताकि किसी बेकसूर व्यक्ति को सजा न मिल पाए। लेकिन देश के सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर लोकसभा व राज्यसभा में कानून पास करके इस फैसले को बदलकर मूलरूप में लाने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार के इस फैसले से देश की बहुसंख्यक आबादी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। व्यापारी नेता समाजसेवी सुनील वशिष्ठ ने कहा कि कोई व्यक्ति गलत कार्य करता है तो कानून में सजा का प्रावधान है। इसके लिए पुलिस व अन्य जांच एजेंसियां उपलब्ध हैं। लेकिन बिना अपराध किए ही सजा दे दी जाए तो यह न्याय के खिलाफ है।

व्यापारी नेता महावीर कंप्यूटर व ईश्वर बंसल ने कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी देश के लोगों को ऐसे कानूनों में फंसाकर बिना अपराध किए सजा मिलेगी तो वो किस तरह राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करेंगे। इससे देश आगे बढ़ने की बजाय पीछे जाएगा। चीनी व्यापारी सुरेश गर्ग ने कहा कि सरकार वोट बैंक के चक्कर में सवर्ण व पिछड़ों पर जुल्म ढाने का काम रही है। किसी मामले में बिना जांच गिरफ्तारी का प्रावधान तो पाकिस्तान जैसे देश में भी नहीं है। सरकार ने एससी-एसटी संशोधन एक्ट बहाल किया तो उसे भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। टाउन हॉल पर धरने पर संजय मंगला, सतीश जैन, फर्नीचर एसोसिएशन से राकेश ¨सघल, रवींद्र बहबलपुरिया, जयदेव, सुनील, सुरेश कुमार, अशोक गर्ग, पंकज गर्ग, सुरेश सैनी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

--एसडीएम ने लिया ज्ञापन

एसडीएम वीरेंद्र सहरावत ने करीब पौने 11 बजे टाउन हाल पर पहुंचकर धरना दे रहे स्वर्ण व पिछड़े समाज और व्यापारिक संगठनों के लोगों से ज्ञापन लिया। राष्ट्रपति के नाम दिए ज्ञापन में एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करके मूलरूप में बहाल न करने की अपील की गई है। एसडीएम जब ज्ञापन लेने पहुंचे तो लोगों ने व्यापारी एकता जिंदाबाद सवर्ण व पिछड़ा समाज ¨जदाबाद के नारे भी लगाए। --इन बाजारों में बंद रही दुकानें

शहर के झांज गेट पर शिव मंदिर से लेकर पंजाबी बाजार, तांगा चौक, मेन बाजार, पालिका बाजार, सिटी थाने के सामने, साड़ी मार्केट, घंटाघर चौक, कपड़ा मार्केट, रोहतक रोड, हांसी रोड, जनता बाजार के व्यापारियों ने दो घंटे के भारत बंद में भाग लेकर दुकानों को 11 बजे तक बंद रखा। कपड़ा मार्केट में तो दुकानों ने मेन गेट पर लगाया ताला ही 11 बजे खोला। इस दौरान दुकानों के आगे गांवों से आए ग्राहक इंतजार में बैठे दिखाई दिए। --राजनीति न करे सरकार

एससी-एसटी एक्ट को मूलरूप में लाकर सरकार राजनीति कर रही है। इस एक्ट के दुष्परिणाम देखकर ही सुप्रीम कोर्ट ने इसमें सुधार किया था। देशभर में अनगिनत बेकसूर इस एक्ट से पीड़ित हैं। किसी भी मामले में जांच के बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए।

ईश्वर ¨सह, जूता व्यापारी --जानिए.. संशोधन के बाद यह होगा एससी-एसटी एक्ट

सीनियर एडवोकेट वीरेंद्र दूहन ने बताया कि एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18ए जोड़ी जाएगी। इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा। इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद हो जाएंगे। मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी। आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी। मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे। जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा। एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी। सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी।


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