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पानी टैम पै घरा आम्ता, तो बाहण-बेटियां नै घर तै बाहर भेजण की के जरूरत थी

तपस्वी शर्मा, झज्जर : यहां से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव खेड़ी-खुमार के ग्रामीण पिछले

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 11:54 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 11:54 PM (IST)
पानी टैम पै घरा आम्ता, तो बाहण-बेटियां नै घर तै बाहर भेजण की के जरूरत थी
पानी टैम पै घरा आम्ता, तो बाहण-बेटियां नै घर तै बाहर भेजण की के जरूरत थी

तपस्वी शर्मा, झज्जर : यहां से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव खेड़ी-खुमार के ग्रामीण पिछले तीन वर्षो से पीने के पानी के लिए गांव के बाहरी क्षेत्रों में लगे हैंडपंप या फिर नहरी पानी पर ही निर्भर है। स्थिति यह है कि घरों में सप्लाई होने वाला पानी तक स्वच्छ नहीं है और ग्रामीण सप्लाई के पानी से खुजली और अन्य रोग होने की बात भी कह रहे है। गांव की महिलाएं और युवतियां गांव से बाहरी क्षेत्रों में कई-कई किलोमीटर दूर लगे हैंडपंप से पानी भर कर लाने को मजबूर है। हैंडपंप से पानी भर रही महिलाओं का कहना है कि पानी टैम पै घरा आम्ता, तो के जरूरत होती बाहण- बेटियां नै घर तै बाहर भेजन की। परेशान हौके हे इतनी दूर आना पडै है। वहीं एक अन्य बुजुर्ग व्यक्ति बोला लाचारी सै भाई, अमीर आदमी तो कैंपर का पानी पी लैवे सै, गरीब आदमी कित जावै। 15 रुपये का कैंपर लेन का ब्यौत सबका तो ना सै। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार विभाग के चक्कर लगाकर सरपंच के माध्यम से चार महीने में सिर्फ चार दिन ही नहर आई है। पानी की समस्या से ग्रामीण बहुत परेशान है। गांव की महिलाओं का आधा समय तो पानी लाने में ही व्यतीत हो जाता है। ---गांव में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। गांव के बाहर लगे हुए हैंड पंप से ही पानी लाना पड़ता है। समय पर नहर नहीं आती है। पिछले चार महीने में सिर्फ चार दिन ही नहर में पानी आया है। ग्रामीण टैंकर से पानी खरीदकर अपना गुजारा कर रहे है। पानी की समस्या से पूरे गांव का बुरा हाल है।

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---धर्मबीर, ग्रामीण। ---गांव में पानी बहुत खारा है। अब तो लोगों को खुजली भी होने लगी है। सुबह ब्रुश करते है तो भी मुंह खारा हो जाता है। विभाग द्वारा सप्लाई किया जा रहा पानी भी ठीक नहीं है। सिर्फ रोजमर्रा के कार्य निपटाने में ही उस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। पीने के पानी की बहुत समस्या है।

--राज ¨सह, ग्रामीण। ---अमीर आदमी तो 15 रुपये का कैंपर खरीद कर अपना गुजारा कर रहा है। गरीब आदमी की तो यह पानी पीना लाचारी बना हुआ है। गांव में बाहरी क्षेत्रों में लगे हैंडपंपों के सहारे ही गांव वाले अपना गुजारा कर रहे है। शिकायत तो कई दफा कर ली है। लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है।

---ढिल्लू, ग्रामीण। ---गांव का जमीनी पानी ठीक नहीं है। पानी कड़वे जहर जैसा है। पशुओं और मनुष्यों दोनों को बीमारियां होने लगी है। मनुष्यों को जहां खुजली होने लगी है। वहीं पशुओं को मुंह खुर की बीमारियां फैलने लगी है। जिसके चलते गांव के लोग डरे हुए है। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।

---जागे, ग्रामीण। ---पानी टैम पै घरा आम्ता, तो के जरूरत होती बाहण- बेटियां नै घर तै बाहर भेजन की। सप्लाई के पानी के तो कपड़े भी अच्छी तरह से साफ नहीं होते। पिछले कई सालों से परेशान है। हैंडपंप गांव से बाहरी क्षेत्रों में लगे हुए है। अकेले आने में भी डर लगता है। लेकिन मजबूरी वश पानी लेने आना पड़ता है।

----राखी, ग्रामीण महिला।


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