खाचरौली गांव के दो लाडलों को लील गया बिजली की तारों में दौड़ रहा करंट
संवाद सूत्र, साल्हावास : बिजली की तारों को बदलने का काम करने वाले इन लाडलों के परिवार ने
संवाद सूत्र, साल्हावास : बिजली की तारों को बदलने का काम करने वाले इन लाडलों के परिवार ने भी शायद यह कभी नहीं सोचा होगा कि तारों में दौड़ने वाला करंट ही उन्हें परिवार से दूर कर देगा। मालियावास गांव में मंगलवार को बिजली का पोल बदलने के दौरान जिस प्रकार का हादसा सामने आया। वह बेशक ही व्यवस्था के लिए एक सीख भी है कि ठेकेदार की मार्फत होने वाले कार्य को अंजाम देने के दौरान यह जरूर देखा जाए कि तय मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं। प्रारंभिक रूप से जिस तरह के हालात यहां पर सामने आ रहे है उनके मुताबिक ऐसा लगता है कि छोटी लाइन के ऊपर से गुजर रही बड़ी लाईन का परमिट लेकर काम किया जा रहा होता तो शायद दुर्घटना ही नहीं होनी थी। जबकि इसी से जुड़ा अन्य पहलू यह भी है कि मौके पर कुल 6-7 युवकों की टीम काम कर रही थी। जबकि तार को डालने और पकड़वाने का काम मनोज और कृष्ण ही कर रहे थे। अगर अन्य साथी भी उनके साथ इसी काम को कर रहे होते तो और बड़ा हादसा भी हो सकता था। --दो-तीन दिन पहले सौंपा गया था पोल बदलने का काम विभागीय स्तर पर सामने आई जानकारी के मुताबिक रोहतक से जुड़ी हुई फर्म को यहां वार्षिक कार्यों का ठेका दिया हुआ है। जिसमें ट्रांसफार्मर सहित पोल आदि बदलवाने का कार्य उनसे लिया जाता है। विभाग के स्तर पर सामान आदि मुहैया कराने की जिम्मेवारी रहती है। जबकि फील्ड में काम करना ठेकेदार की टीम के जिम्मे होता है। अगर किसी लाइन पर काम भी करना होता है तो तय पारुप के मुताबिक पहले परमिट लिया जाना चाहिए। फिर उसके बाद काम को अमल में लाया जाए। काम करने के लिए पॉवर हाऊस से परमिट जेई या फोरमेन द्वारा लिया जाता है। काम पूरा हो जाने के बाद उसकी रिपोर्ट की जाती है और फिर लाईन को चालू किया जाता है। मालिवास गांव में हुए घटनाक्रम की बात हो तो यहां पर दो-तीन दिन पहले ही पोल को बदलने का काम सौंपा गया था। जिस पोल का बदला जाना था वह छोटी लाइन का ही था। जबकि उसके ऊपर से एक बड़ी लाईन भी गुजर रही है। प्रारंभिक रूप से बताया जाता है कि वहां काम रहे युवकों ने साथ ही लगे ट्रांसफार्मर से स्विच तो बंद कर रखा था। लेकिन यह नहीं सोचा था कि तार डालने के दौरान वह ऊपर से गुजर रही लाईन से टकरा सकती है। जो कि इन दोनों युवकों की मौत का कारण भी बना है। बॉक्स : मंगलवार को हुए घटनाक्रम में काल का ग्रास बनने वाले दोनों युवकों की अभी शादी भी नहीं हुई है। बताते है कि मनोज के परिवार में उसका एक भाई खजान है और चार बहनें है। जबकि कृष्ण अपने परिवार में इकलौता बेटा था। तीन बहनों के भाई कृष्ण पर ही परिवार की पूरी जिम्मेवारी थी। परिवार के दोनों लाडलों के साथ हुए इस हादसे के बाद गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। पूरा गांव मनोज और कृष्ण के परिवार के साथ गमगीन है। इधर, सासरौली गांव के सरपंच प्रतिनिधि पवन कुमार ने पूरे घटनाक्रम की कड़े शब्दों में ¨नदा करते हुए कहा है कि हादसे ने दो परिवारों के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा करने का काम किया है। प्रशासनिक स्तर पर पीड़ित परिवार की मदद किए जाने के साथ-साथ दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग भी उन्होंने उठाई है। इन पहलुओं पर होनी चाहिए विभागीय जांच :
- बड़ी लाईन को बंद करवाने का परमिट क्यों नहीं लिया गया
- क्या काम कर रहे सभी कर्मचारी सुरक्षा से जुड़े हुए उपकरण लिए हुए थे
- काम के दौरान एक पोल आगे और एक पोल पीछे अर्थिंग करनी होती है। ताकि किसी भी साइड से अगर करंट आने की स्थिति बनें तो बड़ी दुर्घटना को टाला जा सके। क्या ऐसा यहां पर किया गया था। --- बिजली निगम के एसई संदीप जैन के मुताबिक पूरे मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी। कार्यकारी अभियंता पूरे मामले की रिपोर्ट देंगे। ठेकेदार को भी ताकीद की जाती है कि सभी कर्मचारी सुरक्षा से जुड़े उपकरणों का प्रयोग करते हुए कही काम करें। ऐसा किया गया या नहीं यह भी जांच में ही पता चल पाएगा। हां, इतना जरूर पता चला है कि बड़ी लाईन को बंद करवाने के लिए कोइ्र परमिट नहीं लिया गया था। जबकि पोल को बदलने का कार्य दो-तीन पहले सौंपा गया था।