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पेयजल माइनर की क्षमता बढ़ाने का मामला विभागीय लेटलतीफी में अटका, एचएसवीपी से पैसा न मिलने से प्रक्रिया रुकी

अब काफी दिनों से इस माइनर की सीसी लाइनिग की कवायद चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 06:00 AM (IST)
पेयजल माइनर की क्षमता बढ़ाने का मामला विभागीय लेटलतीफी में अटका, एचएसवीपी से पैसा न मिलने से प्रक्रिया रुकी
पेयजल माइनर की क्षमता बढ़ाने का मामला विभागीय लेटलतीफी में अटका, एचएसवीपी से पैसा न मिलने से प्रक्रिया रुकी

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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शहर को पेयजल आपूर्ति करने वाली बीडब्ल्यूएस (बहादुरगढ़ वाटर सप्लाई) माइनर की सीसी लाइनिग की प्रक्रिया अब विभागों की लेटलतीफी में अटकी हुई है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की तरफ से उसके हिस्से की राशि न मिलने से यह कार्य शुरू नहीं हो सका है। जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से तो अपने हिस्से का पैसा जमा करवाया जा चुका है, लेकिन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से पत्र व्यवहार के बाद भी मामला अटका पड़ा है। दरअसल, यह माइनर सिचाई विभाग की दिल्ली डिवीजन के अंतर्गत आती है। शुरूआत में जब इसका निर्माण कराया गया था, तब इसकी क्षमता 35 क्यूसिक तक थी। मगर दिक्कत यह है कि खस्ताहाल होने के कारण इसकी क्षमता 20 क्यूसिक के आसपास ही रह गई। ज्यादा पानी छोड़ने पर जगह-जगह से इसके किनारे दरकने लगते हैं। इसी कारण शहर को कम पानी मिल पाता है और गर्मियों में भयंकर संकट खड़ा हो जाता है। अब काफी दिनों से इस माइनर की सीसी लाइनिग की कवायद चल रही है। कई प्रस्ताव बने, आखिर में करीब पौने चार करोड़ के प्रस्ताव को हरी झंडी मिली। यह राशि जन स्वास्थ्य विभाग और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को सिचाई विभाग के पास अपने-अपने हिस्से की जमा करवानी है। जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से राशि मिलने की बात सिचाई विभाग ने कही है, लेकिन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की तरफ से अभी राशि नहीं मिली है। इसके लिए सिचाई विभाग ने पत्र भी लिख रखा है। पानी को लेकर अक्सर होता है विवाद :

माइनर में कम पानी की आपूर्ति होती है, इसलिए जन स्वास्थ्य विभाग और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के बीच भी अक्सर विवाद होता है। दोनों ही विभागों द्वारा एक-दूसरे पर ज्यादा पानी लेने का आरोप लगाया जाता है। जब माइनर का निर्माण जुआ था, तब शहर की आबादी आज के हिसाब से 25 से 30 फीसद तक कम थी। मुख्य जल घर के अलावा कहीं और बूस्टिग स्टेशन नहीं थे। तब इस माइनर से पर्याप्त पानी मिलता था। मगर तब से लेकर अब तक एक तरफ आबादी काफी बढ़ चुकी है। पानी की डिमांड में अत्यधिक इजाफा हुआ है। शहर में चारों तरफ कई बूस्टिग स्टेशन बन चुके हैं। मुख्य जलघर पर एक और फिल्ट्रेशन प्लांट बन गया है, मगर जिस माइनर से कच्चा पानी मिलना है, वह उदासीनता का शिकार हो गई। इसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे में यह खस्ता हाल हो गई। सीसी लाइनिग के बाद बढ़ेगी क्षमता :

सिचाई विभाग की दिल्ली डिवीजन की ओर से इस माइनर की देखरेख की जा रही है। ऐसे में अब विभाग की ओर से लगभग पौने चार करोड़ से इस माइनर की सीसी लाइनिग के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। शुरू से लेकर आखिर तक करीब नौ किलोमीटर के एरिया में यह काम होगा। सीसी लाइनिग के बाद इसकी क्षमता 45 क्यूसिक तक पहुंच जाएगी। उसके बाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को भी पर्याप्त पानी मिलेगा और जन स्वास्थ्य विभाग को भी। वर्जन.

माइनर की सीसी लाइनिग के लिए प्रक्रिया चल रही है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अभी अपने हिस्से की राशि जमा नहीं करवाई गई है। जैसे ही पैसा जमा होगा तो इस प्रक्रिया का आगे बढ़ाया जाएगा।

-विनोद कुमार, एसडीओ, सिचाई विभाग


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