भगवान वाल्मीकि के हाथ में सुशोभित कलम हमें शिक्षा के लिए कर रही प्रेरित : रमेश वाल्मीकि
ऐसे ही महापुरुष थे महर्षि वाल्मीकि । जो कि आदि रामायण के रचयिता थे। एक विद्वान पंडित के रूप में महर्षि वाल्मीकि प्रतिष्ठित है।
जागरण संवाददाता, झज्जर :
इंसान की इच्छाशक्ति अगर मजबूत हो और वह अपने आपको बदलने की ठान ले तो वो कुछ भी कर सकता है। ऐसे ही महापुरुष थे महर्षि वाल्मीकि । जो कि आदि रामायण के रचयिता थे। एक विद्वान पंडित के रूप में महर्षि वाल्मीकि प्रतिष्ठित है। यह बात सीता राम गेट स्थित राव मंगली पार्क के समीप वाल्मीकि धर्मशाला में भगवान वाल्मीकि प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में विशाल भंडारे के आयोजित कार्यक्रम के संयोजक एवं समाज सेवी रमेश वाल्मीकि ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के पितामाह है। भगवान वाल्मीकि के हाथ में सुशोभित कलम हमें शिक्षा के लिए प्रेरित करती है।
महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा मे निपुण थे और एक महान कवि भी थे। महर्षि वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों में प्रमुख स्थान प्राप्त है। संस्कृत भाषा के आदि कवि है। महर्षि वाल्मीकि हिन्दुओं के आदि काव्य रामायण के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध है। वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं देते हुए आभार प्रकट किया।
इससे पूर्व 11बजे हवन यज्ञ के बाद विशाल भंडारे का प्रसाद वितरण किया गया। जिसमें सीता राम गेट क्षेत्र के आस-पास के लोगों ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। निवर्तमान पार्षद पुत्र हेमन्त ने बताया कि त्रेता युग में जन्में महर्षि वाल्मीकि की याद में इस दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है। उनका जीवन सद्कमरें और भक्ति की राह पर चलने का सन्देश देता है। उन्होंने कहा कि समस्त वाल्मीकि समाज के द्वारा कई वर्षों से धार्मिक आयोजन किया जाता रहा है।
इस अवसर पर प्रधान त्रिलोक, मनोज, इकबाल सिंह, राजेश, जय भगवान, नीतू दीपक, देशराज लड्डू, मोहन, मनीष, राजेश बनवारी, दिनेश, दीपक, हरभजन सिंह, जगदीश नीतू, नरेंद्र, रवि, सन्नी, आनन्द, भोलू, दीपक, मुकेश सहित समाज के सदस्य मौजूद रहे।