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पोस्टर वार से उजड़ रहा प¨रदों का आशियाना

जागरण संवाददाता, झज्जर : हालात यह है कि शहर जंगल में घुस आया, पेड़ों की जगह मल्टी स्ट

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 01:00 AM (IST)
पोस्टर वार से उजड़ रहा प¨रदों का आशियाना
पोस्टर वार से उजड़ रहा प¨रदों का आशियाना

जागरण संवाददाता, झज्जर : हालात यह है कि शहर जंगल में घुस आया, पेड़ों की जगह मल्टी स्टोरीज छा गए, गगन में उन्मुक्त विचरते पक्षी विश्राम के लिए एक घोंसले के खातिर तरसने लगे, कोयल की कूक दुर्लभ हो गई .। इन हालातों के बीच भी बचे हुए प¨रदों ने अपने लिए घोंसले बनाने की जो जगह तलाशी थी। वह भी प्रचार में जुटे स्वार्थी लोगों को पच नहीं रही है। हालात यह है कि पोस्टर वार में लगे कुछ ऐसे ही लोग ओवरब्रिज के नीचे प¨रदों द्वारा जहां पर घोंसले बनाए गए हैं, उन पर भी अपने पोस्टर चिपका रहे हैं। हालांकि पोस्टर वार से हो रही परेशानी बेशक ही पक्षी प्रेमियों को अखर रही हैं और स्वयं वहां पर पहुंचते हुए इन पोस्टरों को फाड़ने का काम भी कर रहे हैं। लेकिन उनका यह कहना है कि अगर व्यवस्था के स्तर पर ही अवैध रूप से पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जाए तो साफ-सफाई भी रहेगी और प¨रदों की ऐसी दुर्गति भी नहीं होगी।

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दाने की उम्मीद में पहुंचते हैं प¨रदें

रोहतक की ओर जाने वाला ओवरब्रिज हो या सांपला को जोड़ने वाले मार्ग पर बना ब्रिज। शहर के चहुंओर को जोड़ने वाले पुल के नीचे प¨रदों ने लोगों की नजर से बचते हुए अपने कुछ घोंसले बनाए हुए हैं। प¨रदों की इस चहचहाहट को देखते हुए पक्षी प्रेमी उन्हें वहां दाना भी डाल आते है। लेकिन जिस प्रकार से प्रचार की अंधी दौड़ में पोस्टर लगाने का इन दिनों शहर में हो रहा है। उसकी चपेट में प¨रदों के घोंसले भी आ गए है। देखा जाए तो यह उनके विश्राम का ठिकाना है और भोजन का भी।

शहर में भी है बुरे हालात

पोस्टर वार से होने वाली परेशानी का यह एक अकेला विषय नहीं है। अगर शहर के चहुंओर और भीतर वाले क्षेत्र में देखा जाए तो हर गली मोहल्ले में व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज सहित अन्य लोगों के पोस्टरों से दीवारें अटी पड़ी है। विरोध की स्थिति तो उस समय आए। जब कोई किसी के सामने पोस्टर लगाता हुआ पकड़ा जाए। रात के समय में पोस्टर लगाने के लिए निकलने वाले यह लोग जहां मन चाहा वहां पर इन पोस्टरों को चस्पा करते हुए व्यवस्था को ठेंगा दिखाने का काम कर रहे हैं।

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पिछले कई वर्षो से पक्षियों के लिए दाना डालने जाते हैं। चूंकि पक्षी अब हर जगह तो मिलते नहीं। इसलिए कुछ उनके स्थान भी ढूंढ़ रखे हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में पोस्टर लगाने वाले लोगों ने ब्रिज में बनाए हुए घोंसलों को भी ढांप दिया। जिससे काफी पीड़ा हुई। हालांकि काफी स्थानों पर तो उन पोस्टरों को स्वयं भी हटाया है। लेकिन सभी जगह कर पाना संभव नहीं। इसलिए प्रशासनिक स्तर पर देखा जाना चाहिए कि ऐसे लोगों पर गंभीरता से रोक लगाई जाए।

-रमेश वर्मा, पक्षी प्रेमी।

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चिड़िया अपने इंतजाम खुद ही कर लेती हैं। अगर हम उनकी जिंदगी में दखल नहीं देते तो शायद उन्हें भी कोई परेशानी नहंी है। लेकिन जिस तरह का व्यवहार हम छोटे लालच के लिए करते हैं। वह उचित नहीं है। बुरा लगता है कि एक पक्षी जो घोंसला अपने लिए बनाता है वह ऐसे गायब हो जाए। चूंकि जिस तरह इन पक्षियों का जीवन हम पर टिका है, हमारा भविष्य भी उनसे जुड़ा है। दिक्कत यह है कि लोगों को इस समस्या का आभास ही नहीं है।

भूदेव गुलिया, अधिवक्ता एवं पूर्व पार्षद।


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