अस्थाई पार्किग ही है समस्या का समाधान
जागरण संवाददाता, झज्जर : त्योहारी सीजन में खरीददारों की भीड़ बाजार का रूख करने लगी है।
जागरण संवाददाता, झज्जर : त्योहारी सीजन में खरीददारों की भीड़ बाजार का रूख करने लगी है। बाजार से जुड़ने वाले इन ग्राहकों को केंद्र में रखते हुए व्यापारी भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गए है। दोनों ही स्तर पर त्योहार का आनंद बेहतर रूप से सामने आए तो जरूरी है कि तालमेल भी बढि़या ढंग से बनना चाहिए। हालांकि पिछली दफा के त्योहारों की बात हो तो अतिक्रमण के रूप में सामने आने वाली परेशानी और जाम रूपी दिक्कत का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। इसके पीछे के ठोस कारण को देखें तो झज्जर में पार्किंग के लिए ही पर्याप्त ढंग से स्थान नहीं है। जिसका खामियाजा सीधे रूप से बाजार से जुड़ने वाले ग्राहक और यहां के व्यापारियों को त्योहार के दिनों में भी उठाना पड़ता है।
ऐसे में व्यवस्था के स्तर पर जरूरी है कि वह भी दो कदम आगे बढ़ाते हुए व्यापारियों के साथ बातचीत करें। ताकि दोनों पक्षों की ओर से होने वाले प्रयास का परिणाम भी सकारात्मक ही रहेगा। अगले सप्ताह दीपावाली सहित अन्य त्योहारों का स्वागत करने के लिए हम सभी तैयार है। बाजारों में व्यवस्था बनाए रखने के लिए सिटी थाना पुलिस और ट्रैफिक पुलिस भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। पुलिस के स्तर पर जहां सादी वर्दी में भी पुलिस स्टॉफ की तैनाती की गई है। वहीं, प्रशासनिक स्तर पर भी इकाईयों को निर्देश दिए गए है कि वे हर स्तर पर यह ध्यान रखें कि त्योहारों में किसी भी तरह का कोई खलल नहीं पड़ने पाए। पुलिस के स्तर पर जनता से अपील की जा रही है कि मुख्य बाजार के अंदर चौपहिया वाहनों को लेकर जाने की कोशिश नहीं करें। अगर जहां संभव हो वहां पर पार्किंग का प्रयोग किया जाए। यह है स्थिति
शहर की बात हो तो करीब 3 किलोमीटर के दायरे में सिमटे इस शहर को जोड़ने वाली कई सड़के गांव तथा केंद्रों को जोड़ती है। बाजार की स्थिति की बात हो तो यहां से गुरुग्राम , रेवाड़ी, रोहतक, बहादुरगढ़, सांपला, बेरी, दादरी तथा कोसली की ओर से जाने वाले मार्गो पर पड़ने वाले गांवों के ग्राहक आते है। इसके अतिरिक्त शहर से जुड़ा हुआ ग्राहक भी बाजार में खरीदारी के लिए पहुंचता है। अधिकारिक तौर शहर में ऐसी कोई भी पार्किंग नहीं है जो कि यहां पर आने वाले इन ग्राहकों की मदद कर पाएं। ऐसे में जरूरी यह हो जाता है कि जब वाहनों के लिए पार्किंग का पर्याप्त स्थान ही उपलब्ध नहीं है तो उन्हें कहां पर रोका जाए। इस दिशा में ध्यान रखने वाला विषय बनता है कि प्रशासनिक स्तर पर दीपावली तक विशेष रूप से वैकल्पिक पार्किंग तैयार की जाए ताकि लोगों को सुविधा मिल सके। दैनिक जागरण का भी प्रयास है कि लोग स्वत: आगे आए और पार्किंग के लिए भी स्थान दें। ताकि त्योहार के दिनों में बेहतर ढंग से बाजार में कारोबार होने से हर स्तर पर दोनों कड़ियों को फायदा पहुंचे। मिट्टी के दीयों से रोशन करें घर आंगन
दीपावली पर इस बार मिट्टी के दीयों से अपने घर आंगन को रोशन करें। प्रयास करें कि आप जो उपहार एक दूसरे को दे रहे हैं वह भी किसी को स्थानीय स्तर पर कारोबार में भी मदद करें। ताकि आपके घर में आने वाली दीपावली की खुशियां अन्य के घरों तक भी पहुंचे। ऐसा कहना है कि समर्पण वेलफेयर सोसायटी के प्रधान एवं महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट के उप प्रधान अमित ¨सघल का। वे पिछले करीब पांच साल से गरीब और जरूरतमंद लोगों के बीच दीपावली मनाते हैं। साथ ही संस्था से जुड़े पालिका के उपाध्यक्ष प्रवीण गर्ग भी निरंतर इस अभियान को गति देते हुए जुटे हुए है। प्रयास रहता है कि दीपावली पर पटाखों से होने वाले जहरीले धुएं की रोकथाम की जा सके और यह पर्व पारंपरिक रूप से मनाया जाए। उनके मुताबिक मिट्टी के दीये बनाने वाले अधिकतर लोग गांवों व कस्बों में रहते हैं। अगर हम मिट्टी के दीये और अन्य सामान खरीदते हैं तो उनकी दीपावली भी अच्छे से मन जाएगी। दीपावली का वास्तविक अर्थ भी दीपों का त्योहार है और जो सभी के यहां पर खुशियां भी लेकर आए।
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दीपावली का त्योहार बाजार एवं ग्राहक दोनों के लिए बेहतर रहना चाहिए। दैनिक जागरण का प्रयास और सोच अच्छी है। ऐसे में जरूरी है कि बाजार के व्यापारी भी मदद करें। वह भी एक हद तक ही अपनी दुकानों के आगे सामान को बढ़ाएं। उन्हें भी समझना चाहिए कि अगर एक हद तक सामान को आगे बढ़ाया जाए तो बाजार में आने वाले ग्राहक को भी सुविधा होगी।
शशांक कुमार सावन, एएसपी।
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बाजार के व्यापारी भी यह सोच रखते है कि कारोबार अच्छा हो। अगर प्रशासन के स्तर पर वैकल्पिक पार्किग की व्यवस्था की जाती है तो बेशक ही उससे व्यापारी एवं ग्राहक दोनों को फायदा पहुंचेगा।
सोहन ¨सह गुर्जर, प्रधान, व्यापार मंडल।