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..जब पड़ोसी से आटा मांगने गई तो कर दिया था मना, आज कई महिलाओं को दिया रोजगार

यह कहानी है गांव ढाणा निवासी रानी की। एक समय था जब परिवार में गरीबी अपने चरम पर थी। आटा खत्म होने पर पड़ोसी से मांगने गई। लेकिन पड़ोसियों ने मना कर दिया। दिल पर बोझ बढ़ा लेकिन जैसे-तैसे करके परिवार चलाया। आज गांव की कई महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 08:00 AM (IST)
..जब पड़ोसी से आटा मांगने गई तो कर दिया था मना, आज कई महिलाओं को दिया रोजगार
..जब पड़ोसी से आटा मांगने गई तो कर दिया था मना, आज कई महिलाओं को दिया रोजगार

दीपक शर्मा, झज्जर

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एक समय था जब परिवार में गरीबी अपने चरम पर थी। आटा खत्म होने पर पड़ोसी से मांगने गई। लेकिन पड़ोसियों ने मना कर दिया। दिल पर बोझ बढ़ा, लेकिन जैसे-तैसे करके परिवार चलाया। आज गांव की कई महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही हैं।

यह कहानी है गांव ढाणा निवासी रानी की। करीब तीन वर्ष पहले वह स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ीं। गांव की महिलाएं इकट्ठी होकर 30-30 रुपये जमा करती थीं। जबकि, रानी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह खुद यह 30 रुपये भी नहीं जमा कर पाईं और स्वयं सहायता समूह भी छोड़ना पड़ा। रानी का गरीबी ने बार-बार इम्तिहान लिया। लेकिन रानी लगातार मेहनत के बूते पास होती चली गईं।

रानी बताती हैं कि उनके पति बलराम ट्रक चालक हैं और नौकरी से घर खर्च बड़ी मुश्किल से चलता था। वह करीब डेढ़-दो साल पहले हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया संस्था के प्रतिनिधियों से मिलीं। उन्होंने खुद का काम शुरू करने के लिए प्रेरित किया। रानी को ट्रेनिग दी और उसके बाद कपड़े की दुकान शुरू करवा दी। उन्होंने 30 हजार का लोन लिया और परिवार के सहयोग से दुकान शुरू कर ली। इसके बाद उन्होंने पूरी मेहनत के साथ काम किया। साथ ही सिलाई व स्वेटर बनाने का काम करने लगीं। जिसकी बदौलत आज उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आ गया है। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान बलराम का काम बंद हो गया था और घर पर बैठे थे। इस दौरान मेहनत मजदूरी करने मंडी में गए तो एक हादसे में उनके पति को गंभीर चोटें आई। पांव का ऑपरेशन भी हुआ। फिलहाल, वह काम नहीं कर पा रहे। ऐसे में रानी ही घर खर्च चला रही हैं।

20 महिलाओं का काम शुरू करवा चुकीं

रानी के मुताबिक खुद की दुकान शुरू करने के बाद उन्होंने आसपास के गांव की महिलाओं को भी स्वयं रोजगार के लिए जागरूक करना आरंभ किया। उनका मानना था कि जिस तरह उन्होंने गरीबी को झेला है, उस तरह दूसरी महिलाओं को गरीबी दिक्कत न दे। इसलिए उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी रोजगार देने की ठानी। इसके लिए वे करीब 20 महिलाओं का काम शुरू करवा चुकी हैं। इनमें से अधिकतर महिलाएं गांव ढाणा की ही रहने वाली हैं। वहीं कुछ महिलाएं गांव धनीरवास, साल्हावास व साल्हावास की ढाणी की रहने वाली है।

गांव में 11-12 स्वयं सहायता समूह शुरू करवाए

रानी पहले महिलाओं से संपर्क करती हैं और बाद में खुद का काम शुरू करने के लिए प्रेरित करती है। जिससे कि दूसरी महिलाएं खुद का काम करें और घर खर्च में हाथ बंटाएं। फिलहाल, वह ग्राम संगठन की सचिव व साल्हावास ब्लॉक संगठन की प्रधान हैं। वह गांव में करीब 11-12 स्वयं सहायता समूह भी शुरू करवा चुकी हैं। हालांकि उन्हें हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया ने सिलाई मशीन भी दी, जिससे उनका कार्य भी आसान हो गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले न तो खुद का घर था और न ही दुधारु पशु। लेकिन, खुद का काम करने व पति की नौकरी के चलते पहले खुद का घर बनाया और बाद में दुधारू पशु भी रखे।


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