कोरोना की दूसरी लहर मंद पड़ने के बाद आंदोलनकारियों के वैक्सीनेशन और टेस्टिग का मसला फिर पड़ा ठंडा
मंच से वक्ता कोरोना कुछ न होने की बात कहते हैं
मंच से वक्ता कोरोना कुछ न होने की बात कहते हैं जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के बीच अब फिर से कोरोना वैक्सीनेशन और टेस्टिग का मसला ठंडा पड़ गया है। हालांकि टीकरी बॉर्डर पर पंजाब के किसान संगठनों में से भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा ग्रुप की ओर से अब पिछले दो सप्ताह से रोजाना यहां पर सैनिटाइज मुहिम चलाई जा रही है। मशीन के जरिये रोजाना कोरोना से बचाव को लेकर किए जाने वाले इस कार्य की जानकारी इस ग्रुप की ओर से इंटरनेट मीडिया पर साझा भी की जा रही है। मगर दिलचस्प बात यह भी है कि अभी तक इसी आंदोलन के बीच से बहुत से वक्ता कोरोना कुछ न होने की बात भी कहते आए हैं और वैक्सीन लगवाने तथा टेस्ट करवाने से परहेज भी कर रहे हैं। पिछले दिनों जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर पहुंची और चारों तरफ मारामारी मची, उससे पहले ही आंदोलनकारियों से प्रशासन की ओर से वैक्सीन लगवाने की अपील की गई थी, मगर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। टीकरी बॉर्डर पर तो अलग-अलग जगह दो बार स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाया गया, मगर उनमें इक्का-दुक्का किसान ही वैक्सीन लगवाने पहुंचे। अब चूंकि कोरोना की दूसरी लहर मंद पड़ गई है। इसके बाद तो आंदोलनकारी वैक्सीनेशन के लिए कतई तैयार नहीं हो रहे। टेस्ट करवाने के नाम पर आंदोलनकारी संगठनों के नेता तो पहले ही साफ तौर पर इन्कार कर चुके हैं, मगर जिन गांवों की इस आंदोलन में भागीदारी रही, उनमें कोरोना ने कहर भी बरपाया। अब चूंकि तीसरी लहर की प्रबल संभावना जताई जा रही है और आंदोलन का पता नहीं कब तक चले, ऐसे में सभी आंदोलनकारियों के वैक्सीनेशन की दरकार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आंदोलनकारियों के वैक्सीनेशन को लेकर कई बार कोशिश की जा चुकी है, मगर वे तैयार नहीं हुए।