ना रात नै नींद आवै, ना दिन म्ह चैन, सारी हान सतावें पशुओं की ¨चता
तपस्वी शर्मा, झज्जर : क्षेत्र के गांव कलोई में पिछले 15 दिनों में 22 पशुओं की मौत होने से गा
तपस्वी शर्मा, झज्जर : क्षेत्र के गांव कलोई में पिछले 15 दिनों में 22 पशुओं की मौत होने से गांव में हड़कंप मचा हुआ है। गांव के पशुपालक इतने भयभीत है कि अपने पशुओं को रिश्तेदारियों में भी भेजने की तैयारी कर रहे हैं। पशुपालकों का कहना है कि चिकित्सकों को बीमारी ही समझ में नहीं आ रही है। चिकित्सक कभी निमोनिया का कारण बता रहे है तो कभी ठंड का प्रकोप। लेकिन कुछ ठोस समझ में नहीं आ रहा है। पशुपालकों में इतना भय बना हुआ कि वह वे अपने पशुओं को अपनी रिश्तेदारियों में भेजने की भी तैयारी कर रहे है तो कुछ पशुपालक अपनी 80 हजार रुपये की भैंस को 40 हजार रुपये तक में भी बेचने को तैयार है। ग्रामीण अपने स्तर पर गांव के दौरे के दौरान कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के सामने भी समस्या रख चुके है। कैबिनेट मंत्री के स्तर पर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया गया है। परेशान ग्रामीणों का कहना है कि ईब तो ना रात नै नींद आवै और ना दिन म्ह चैन, सारी हान पशुओं की ¨चता सतावै है। --ठंड तो प्हलयां भी पड़ा करदी पशुपालकों का कहना है कि गांव की पशु अस्पताल में तैनात चिकित्सक पशुओं की बीमारी का कारण ठंड को बता रहे है। ठेठ हरियाणवी में बुजुर्ग पशुपालक बोले कि ठंड तो प्हलयां भी पड़ा करदी। जब पशु बीमार ना होए, ईब की बर तो इतना जाड़ा भी ना पड्या, जितना डॉक्टर बतान लाग रहया सै। बस किसी की समझ म्ह कुछ ना आ रहैया। पशु मरन लाग रे और पशुपालक कै नुकसान होन लाग रहैया सै। अब की दफा ऐसा क्या हो गया कि पशुओं की मौत ही हो रही है। बेशक ही प्रशासन को विषय पर गंभीरता दिखानी चाहिए। ताकि पशुपालकों को और अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़े। -- करीब 15 दिनों में करीब 22 पशुओं की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों को भी बीमारी के बारे में पता नहीं चल पा रहा है। कभी निमोनिया तो कभी ठंड का कारण बता रहे है। एक बड़ी कटिया मर चुकी है। एक भैंस भी ज्यादा बीमार है। ग्रामीण अपने पशुओं को रिश्तेदारियों में भी भेजने लगे है। पशुपालकों में भय का माहौल बना हुआ है।
---नसीब ¨सह, पशुपालक। ---पशुओं में क्या बीमारी है। ना तो चिकित्सकों को समझ में आ रही है और ना ही पशुपालकों को। पशु जुगाली करने लगते है। फिर एकाएक तबीयत खराब होती है और एक या दो दिन में पशु मर जाते है। कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के गांव के दौरे के दौरान समस्या से अवगत करवाया गया था। कृषि मंत्री ने पशुओं का अच्छे तरीके से उपचार करवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी कार्यवाही का इंतजार है।
---प्रेम, पशुपालक। ---पिछले 13 दिनों से भैंस बीमार है। 13 दिनों में 65 इंजेक्शन लगवा चुके हैं। फिर भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। 80 हजार रुपये की भैंस लेकर आया था। 12 किलोग्राम दूध देती थी। अब तो सौ ग्राम दूध भी नहीं रह गया है। हालत को देखते हुए अब डर लगने लगा है। आज पशुपालक 80 हजार रुपये की भैंस 35- 40 हजार में भी बेचने को तैयार है। सरकारी अस्पताल से तो दवाईयां भी नहीं मिल रही है। सुबह भी ढाई हजार रुपये की दवाई लेकर आया हूं। अब तो बहुत ¨चता होने लगी है।
---संजय, पशुपालक। ---मेरा तो बेटा भी बीमार रहता है। दो भैंस और तीन बड़ी कटिया मर चुकी है। लाखों का नुकसान हो गया है। अगर गांव के डॉक्टर की समझ में नही आ रहा है तो दूसरे वरिष्ठ डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है आखिर पशुओं को क्या हो रहा है। ना रात नै नींद आवै, ना दिन म्ह चैन, सारी हान पशुओं की ¨चता ही रहती है।
---तारावती, पशुपालक। ---पिछले कुछ दिनों में गांव में एकाएक पशुओं के मरने की संख्या बढ़ी है। डॉक्टरों द्वारा ठंड के चलते फेफड़े खराब होने का कारण बताया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को भी समस्या के बारे में अवगत करवाया जा चुका है। उम्मीद है कि शीघ्र ही समस्या का ठोस समाधान मिलने से पशुपालकों को राहत मिलेगी। फिर भी वे व्यक्तिगत स्तर पर दोबारा से प्रयास में जुटे हुए है।
---संदीप, सरपंच प्रतिनिधि ।