ब्राह्मण सहित छह जातियों को दान की जमीन का मामला फिर गरमाया, विधानसभा में उठेगा मुद्दा
हरियाणा में अब दान की जमीन का मामला गरमाता हुआ नजर आ रहा है। राज्य में ब्राह्मण सहित छह जातियों को दान की जमीन के मालिकाना हक का मामला विधानसभा में उठाने की तैयारी है।
झज्जर, [अमित पोपली]। हरियाणा में अब ब्राह्मण सहित छह जातियों को दान में मिली जमीन के मालिकाना हक का मामला फिर गर्मा गया है। 10 साल पुराना यह मुद्दा अब कांग्रेस के बादली विधानसभा क्षेत्र से विधायक कुलदीप वत्स ने विधानसभा में उठाने की तैयारी में हैं। वह इन जमीनों पर काबिज परिवारों को मालिकाना हक को बरकरार रखने के लिए आवाज उठा रहे हैं। कुलदीप वत्स के मुताबिक ब्राह्मणों समेत छह जातियों से जुड़े हजारों परिवारों को वर्षों पहले दान में जमीन दी गई थी और अब उनका मालिकाना हक छीनने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने कहा-पहले भी अधिकार की बात उठाई थी, अब मजबूती से हक के लिए लड़ेंगे
कांग्रेस विधायक वत्स का कहना है कि वर्षों पहले काफी संख्या में ब्राह्मण समाज सहित छह जातियों के लोग दना में मिली जमीनों पर रह रहे हैं या खेती कर रहे हैं। इसका मालिकाना हक देने की आवाज काफी समय से उठाई जा रही थी। विभिन्न मंचाें से इस मामले को उठाए जाने के बाद वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में जमीन का मालिकाना हक मिलने का काम भी हुआ। वत्स ने कहा कि उन्होंने पहले भी इस अधिकार की बात को उठाया था और इस पर मजूबती से लड़ाई लड़ेंगे।
विधानसभा में गूंजेंगा धौली की जमीन का मुद्दा, उठाएंगे बादली से विधायक कुलदीप वत्स
एक बातचीत में वत्स ने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार अब इन जमीनों का मालिकाना हक संबंधित लोगों से वापस लेने की तैयारी में है और इसे वापस लेने के आदेश दे चुकी है। इससे ब्राह्मण समाज ही नहीं अन्य जातियों से जुड़े लोगों में भारी नाराजगी पनप रही है। कुलदीप वत्स का कहना है कि मामला चल रहे विधानसभा सत्र में जोरदार ढंग से उठाया जाएगा। चूंकि, इस सामाजिक विषय के परिप्रेक्ष्य में पक्ष-विपक्ष से उठकर सभी लोग अपना समर्थन व्यक्त कर रहे है। एक लंबी लड़ाई के बाद मिले जमीन के हक को इस तरह से वापिस लेने का निर्णय सरासर गलत है।
कुलदीप वत्स के अनुसार, हरियाणा की तत्तकालीन सरकार द्वारा मालिकाना अधिकार निहित करने के लिए एक एक्ट 2010 में विधेयक पारित करा कर बनाया गया था। एक्ट के तहत लाभ पाने वाले दोहलीदार (दान में दी गई जमीन) व भोंडेदार (भूमि की रखवाली करने वाले) आदि परिवारों को इसमें लाभ देने का प्रावधान किया गया। एक्ट बनने के बाद वर्ष 2011 में 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से फीस तहसील कार्यालय में जमा कराकर मालिकाना हक प्राप्त करने की प्रकिया तय की गई। एक्ट के तहत प्रदेश की ब्राह्मण सहित अन्य जातियों के लोगों को शामिल किया गया।
वत्स बोले- सिर्फ ब्राह्मण समाज का मुद्दा नहीं, अन्य जातियों से जुड़े हजारों परिवारों को भी होगा नुकसान
वत्स ने कहा कि अक्टूबर 2018 में सरकार के स्तर पर जिला उपायुक्तों को पत्र भेजकर ऐसे सभी पात्र या जमीन का मालिकाना हक रखने वाले लोगों का डाटा तैयार करवाए जाने का आदेश दिया गया। बहरहाल, चल रही प्रक्रिया में एक दफा फिर से पुराना मुद्दा नए रंग में सामने आ रहा है। विधायक कुलदीप वत्स द्वारा मामले को विधानसभा में उठाए जाने की बात कहेन जाने के बाद यह फिर चर्चा का विषय बनता हुआ दिखाई दे रहा है।