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यहां बनाए जाते हैं कई डिजाइन के दीये, इन दीयों की डिमांड पूरे देश में...

झज्जर की मिट्टी से तैयार मजबूत आकर्षक और खूबसूरत दीये हर किसी के मन को भाते हैं। इस दिवाली भी देशभर के व्यापारियों की मांग पर अब तक करीब ढाई करोड़ दीयों की सप्लाई हो चुकी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 11:55 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 11:55 AM (IST)
यहां बनाए जाते हैं कई डिजाइन के दीये, इन दीयों की डिमांड पूरे देश में...
यहां बनाए जाते हैं कई डिजाइन के दीये, इन दीयों की डिमांड पूरे देश में...

दीपक शर्मा, झज्जर। महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात और दिल्ली... ब्रांड नेम है- झज्जर का दीया। इसी नाम से लोग खरीदारी करते हैं। इस बार भी देशभर में अब तक ढाई करोड़ दीये की सप्लाई यहां से हो चुकी है। मांग बढ़ने से स्थानीय कारीगर गदगद हैं। दिल्ली से करीब 78 किमी दूर हरियाणा के इस जिले में दीये बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता आया है। दीपावली पर देश के बड़े हिस्से में यहां के बने दीये खपते हैं। झज्जर की मिट्टी की खूबी ने यहां के दीयों को विशेषता प्रदान की है। इनकी यही खूबी इन्हें ब्रांड का स्वरूप दे चुकी है। लोग झज्जर वाले दीये मांगते हैं।

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झज्जर की मिट्टी से तैयार मजबूत, आकर्षक और खूबसूरत दीये हर किसी के मन को भाते हैं। इस दिवाली भी देशभर के व्यापारियों की मांग पर अब तक करीब ढाई करोड़ दीयों की सप्लाई हो चुकी है। मांग बढ़ने से बेहद प्रसन्न स्थानीय कारीगरों को भरोसा है कि इस सीजन दीये बेचकर वे अपने परिवार के लिए अच्छी रकम जोड़ सकेंगे। कुंभकार महाबीर बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले एक दौर आ गया था, जब लोग दीपावली पर चाइनीज लाइट और चाइनीज दीयों से घरों को सजाने लगे थे। इससे मुझ जैसे लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया था, लेकिन अब लोगों का रुझान देसी मिट्टी के दीयों की ओर बढ़ा है। जिससे हम कारीगरों के चेहरों पर खुशी झलक रही है...।

झज्जर में तैयार दीये अच्छी मिट्टी, बनावट व सफाई के कारण अधिक पसंद किए जाते हैं। अच्छी मिट्टी होने के कारण पकने के बाद मजबूत रहते हैं। दीयों की बनावट खूबसूरत होती है। यहां कारीगरों द्वारा सफाई से काम किया जाता है। सामान्य दीयों के साथ-साथ रंग-बिरंगे दीये बनाये जाते हैं। डिमांड के अनुसार स्टैंड वाले, चार कोण वाले, छह कोण वाले, मंदिर वाले और सुराहीदार दीये भी बनाए जाते हैं। कळ्ंभकार महाबीर ने बताया कि झज्जर में मांग को देखते हुए 40 से 50 कारीगर दीवाली के एक माह बाद ही दीये बनाने की तैयारियों में जुट जाते हैं। वहीं अन्य कारीगर मार्च या होली के बाद अपना कार्य आरंभ कर देते हैं। मृदा कला के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके स्थानीय कारीगर इंद्रपाल खोहाल ने बताया कि 1965 से 2019 तक मिट्टी कला में हरियाणा के दो लोगों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है, जिनमें से एक वे स्वयं हैं। उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1997 में यह पुरस्कार दिया था।


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