2018 में मात्र 18 दिन ही अपने घर रह पाएगी गोल्डन गर्ल मनु भाकर
मनु भाकर का कहना है कि मुझे और अनीश को अगर टूर के दौरान ही ट्यूटर मिल जाए तो ड्राप नहीं करना पड़ेगा दस जमा दो का सत्र।
झज्जर [अमित पोपली]। गोल्डन गर्ल बनने के बाद गोरिया निवासी मनु भाकर से देश की उम्मीदों का बढ़ना स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। इसी से जुड़े पारिवारिक पहलू को देखा जाए तो वर्ष 2018 में शेष बचे 8 माह में मनु भाकर अपने परिवार के साथ मात्र 18 दिन ही रह पाएगी। किन-किन 18 दिनों में वह अपने परिवार के साथ रहेगी। इसका हिसाब उनके पिता के पास अंगुलियों पर है।
जब मनु से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा गया तो कहती है कि अभी तो समय हीं नहीं मिल पा रहा। लगता है कि दस जमा दो का सत्र कहीं ड्रॉप न करना पड़ जाए। हां, अगर उसे और अनीश को टूर के दौरान ट्यूटर की सुविधा मिल जाए तो सत्र ड्रॉप होने से बच सकता है और पढ़ाई भी जारी रहेगी। मनु अपने पिता रामकिशन भाकर, मां सुमेधा व भाई अखिल सहित दैनिक जागरण झज्जर कार्यालय में पहुंची थीं।
एक्टिंग और डांस का है शौक
मनु ने बताया कि उसे एक्टिंग व डांस का भी शौक है। अगर कभी मौका मिला तो वह जरूर इसमें भी आगे बढ़ते हुए हाथ आजमाएगी। मनु अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही तरह के गानों को सुनना पसंद करती है।
सिडनी में जिम्नास्टिक की ओर बढ़ा रूझान
मनु का रूझान इन दिनों आइस स्केटिंग और जिम्नास्टिक की ओर भी बढ़ा है। बातचीत में मनु ने बताया कि सिडनी में रहते हुए उसने इन दोनों गेम्स और उनसे जुड़े खिलाडिय़ों के अभ्यास, फ्लेक्सिबिलिटी और बैलेंस को देखा है। यह देखने के बाद वह भी इन दोनों गेम्स को सीखना चाहेंगी।
परिवार की लाडो है मनु
मुख्यमंत्री द्वारा डेढ़ करोड़ रुपये के चेक दिए जाने के बाद जब मनु से पूछा कि इस राशि में से उसके कितने हिस्से आएंगे तो मनु ने जवाब दिया कि जितनी भी मेरी जरूरत होगी। हालांकि पहले भी कोई कमी नहीं है। पिछली दफा भी जब पापा ने 300 डॉलर खर्च के लिए देने के बाद 200 डॉलर बैग में यह कहकर रख दिए थे कि जरूरत पड़ने पर काम आ जाएंगे।
ऐसा ही मां सुमेधा के साथ है। वह भी हर जरूरत को समझती है और समयानुसार पूरा कर देती है। भाई अखिल का तो जवाब ही नहीं है। टूर पर जाने से पहले उसने मुझे अपना मोबाइल भी दे दिया था। आइआइटी की तैयारी कर रहे अखिल अपनी बहन की इस उपलब्धि पर कहते है कि वह स्वयं को आसमान से भी ऊंचा महसूस करते हैं।
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