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देव-उठनी एकादश के साथ ही शुरू हुए मांगलिक कार्य, 300 से अधिक जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

जागरण संवाददाता, झज्जर : वर्ष भर में आने वाली सभी 24 एकादशी में सबसे शुभ और मंगलकारी एका

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 11:08 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 11:08 PM (IST)
देव-उठनी एकादश के साथ ही शुरू हुए मांगलिक कार्य, 300 से अधिक जोड़े परिणय सूत्र में बंधे
देव-उठनी एकादश के साथ ही शुरू हुए मांगलिक कार्य, 300 से अधिक जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

जागरण संवाददाता, झज्जर : वर्ष भर में आने वाली सभी 24 एकादशी में सबसे शुभ और मंगलकारी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी मानी जाती है। सोमवार को देवोत्थान एकादशी के साथ ही यहां मांगलिक कार्य शुरू हो गए। ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु जो पिछले 4 महीनों से क्षीर सागर में सोए हुए थे वह जागते हैं। भगवान के जागते ही 4 महीनों से रूके हुए सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू किए जाते हैं। सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली इस एकादशी का व्रत करने वालों को स्वर्ग और बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

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शास्त्रों में देवउठनी एकादशी पर कुछ खास उपाय करने से जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है तो वही बताए गए नियम का पालन नहीं करने पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। चली आ रही इन मान्यताओं को ध्यान में रखकर लोगों ने अपनी पूजा अर्चना की। दिन भर मंदिरों के अलावा घर में भी पूजा अर्चना का दौर चला। सुबह से ही मंदिरों में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान के नाम का स्मरण करते परिवार की मंगल-कामना के लिए दुआ की। इन खास तिथियों का रखें ध्यान

पंडित वीरेंद्र शर्मा के मुताबिक इस बार अस्त गुरु तारे में देव उठे हैं। देवउठनी पर तुलसी विवाह और अन्य धार्मिक आयोजन भी अबूझ सावे के कारण ही किए जाते हैं। तिथि विशेष का ध्यान रखने वाले लोगों की बात की जाए तो नवंबर और दिसंबर में 3 विवाह मुहूर्त हैं। इसके बाद 15 जनवरी को पहला सावा है। जनवरी में कुल 9 सावे हैं। 14 नवंबर को सुबह 10.50 बजे गुरु तारा पश्चिम दिशा में अस्त हुआ, जो 9 दिसंबर को शाम 4.30 बजे पूर्व दिशा में उदय होगा। इसी कारण 19 नवंबर को अस्त गुरु तारे में ही देव उठे हैं। अबूझ सावा होने के कारण शादी समारोह और मांगलिक कार्य भी किए जा रहे है। एक अनुमान के अनुसार जिले में सोमवार को 300 से अधिक विवाह बंधन में बंधे। गुरु तारा उदय होने के बाद 12 दिसंबर को 8 रेखा व 13 दिसंबर को 10 रेखा का सावा है। इसके बाद 16 दिसबंर को सुबह 9.09 बजे सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही मलमास प्रारंभ हो जाएगा। इस कारण वैवाहिक और मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 2019 में 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मलमास समाप्त होगा। 15 जनवरी से फिर मांगलिक व वैवाहिक कार्य प्रारंभ होंगे। बाजार हुए गुलजार, अच्छे कारोबार की उम्मीद

मार्केट में शादियों को ध्यान में रखते हुए बाजार के हिसाब से ब्राइडल तथा डिजाइनर साड़ियों व लहंगा-चुनरी को रखा गया है। लेटेस्ट फैशन व सोच को ध्यान में रखते हुए दुकानदार ग्राहकों को लुभाने के लिए तैयार हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर, किराना, कपड़े, हौजरी, रेडीमेड कपड़ों के साथ श्रृंगार की वस्तुओं से जुड़े कारोबार करने वाले व्यापारी भी खास तौर शादी ब्याह के ग्राहक को केंद्र में रखते हुए माल स्टाक किए हुए है। दिसंबर में दो दिन सबसे बड़े शुभ शादी के मुहूर्त हैं। ऐसे में खास तौर पर कारोबारियों को उस दिन अच्छे कारोबार की उम्मीद है।

बैक्वेंट हॉल, धर्मशाला रहे फुल

इधर, अच्छे कारोबार की उम्मीद में तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे लोगों के साथी ऐसे परिवार, जिनके यहां कार्यक्रम है, बु¨कग को लेकर अभी से सभी कुछ फाइनल कर रहे है। जबकि कुछ ऐसे भी है जो कि पंडित से विचार करते हुए अतिथि को भी आगे पीछे करने के चक्कर में है। ताकि शुभ मुहूर्त के चक्कर में काफी महंगी बु¨कग हो जाने से बजट ही खराब नहीं हो जाए।

तुलसी विवाह के मौके पर मंदिरों में शुरू हुआ पूजा अर्चना का दौर

जिला मुख्यालय स्थित मंदिरों के अलावा ग्रामीण आंचल में स्थित मंदिरों में भी तुलसी विवाह कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने श्री शालिग्राम भगवान की बारात को निकालने के लिए तैयारी भी उसी स्तर की। जैसा कि प्राय: शादी ब्याह के लिए की जाती है। तुलसी के साथ होने वाले इस विवाह में शामिल होने का उत्साह भी लोगों के चेहरे पर चरम पर जाता हुआ दिखाई दिया। पूरे विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच माता तुलसी और शालिग्राम जी के विवाह की तैयारी से पूर्व वैवाहिक मंगल गीत का कार्यक्रम भी दिन भर चलता रहा। जलपान एवं भोजन के लिए भी विभिन्न व्यंजन बनाए गए। फूलों की बढ़ी मांग

मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं। अभी अंचल में शादियों की धूम है, फिलहाल फूलों की मांग अधिक होने के कारण व्यवसायी मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं। गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, मोगरा, जलबेरा, अरसन फूलों की कीमत भी पहले से अधिक हो गई है। फूलों से मंडप सजाने का काम करने वाले अशोक जुनेजा ने बताया कि वे काफी लंबे समय से कारोबार से जुड़े हुए है। शादी के अलावा खास मौके पर फूलों की मांग बढ़ने के साथ-साथ फूलों के दाम पीछे से बढ़कर आते है। छोटा शहर होने के बाद भी आजकल लोग गाड़ी, मंडप सजाने के लिए फूलों का आर्डर दे रहे हैं। साथ ही कुछ लोग आर्डर में यह काम करा रहे हैं। नगर में गाड़ी सजाने के लिए अलग-अलग कीमत है।


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