मूल रूप से दुजाना गांव निवासी स्वामी हंस दास ने 14 वर्ष की आयु में छोड़ा था घर
जागरण संवाददाता झज्जर पंचनद स्मारक ट्रस्ट के संस्थापक व अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष मह
जागरण संवाददाता, झज्जर : पंचनद स्मारक ट्रस्ट के संस्थापक व अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी हंस दास महाराज का शुक्रवार तड़के सड़क हादसे का शिकार होकर ब्रह्मालीन होने के समाचार से समूचे समाज को गहरा शोक पहुंचा है। समाज को लगे इस आकस्मिक आघात से हर कोई शोकग्रस्त है। इधर, पंचनद स्मारक ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कहा कि शुक्रवार प्रात: घटित हृदयविदारक घटना ने सबको झकझोर दिया है। हर तरफ ़गम का माहौल है। स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज का इस तरह सबको छोड़कर जाना कभी न पूरी होने वाली बहुत बड़ी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पायेगी। कहा कि जगद्गुरु साधुसमाज के मूर्धन्य थे, वहीं पंचनद स्मारक ट्रस्ट की आत्मा थे। केवल उनका मार्गदर्शन ही नहीं बल्कि हमेशा उन्होंने पंचनद के उत्थान के लिये निर्णायक फैसले लिए। जोकि समग्र समाज के लिये सदा-सदा प्रेरक रहेंगे। बॉक्स :
गौरतलब है कि लखनऊ के निकट हुए एक भीषण सड़क हादसे में शुक्रवार की सुबह जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में लखनऊ के अस्पताल में बड़े प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नही जा सका। शुक्रवार की शाम हवाई मार्ग से उनके शव को उनके आश्रम श्री जगन्नाथधाम(भीमगोडा) हरिद्वार लाया गया। जहां दिनभर उनके अंतिम दर्शनों के बाद में शाम 4 बजे इसी आश्रम से अन्तिम यात्रा निकाली जायेगी। झज्जर की पंचनद इकाई ने भी उनके ब्रह्मालीन हो जाने पर गहरा शोक व्यक्त किया है। इकाई प्रधान संतलाल बुद्धिराजा, महासचिव सतीश धींगड़ा, महिला ¨वग प्रधान आशा तनेजा, युवा प्रधान हिमांशु हंस, शहरी प्रधान कपिल सरदाना, राकेश अरोड़ा, पूर्ण चंद सुनेजा, मनोहर तनेजा, संटी तलवार आदि ने इसे समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये है। --- मूल रूप से दुजाना गांव निवासी स्वामी हंस दास ने 14 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़ दिया था। प्रारंभ से ही धार्मिक प्रवृति के स्वामी जी का सामाजिक कार्यों में भी बड़ा योगदान है। गांव से संबंध रखने वाले वेद नंबरदार ने बताया कि सूचना मिलने के बाद से गांव से काफी संख्या में लोग हरिद्वार के लिए चले गए हैं। सुबह भी बस भरकर यहां से जाएगी। स्वामी जी के ही परिवार से जुड़े अन्य सभी हाल समय में पानीपत में रहते है।