Move to Jagran APP

मनसा देवी मंदिर की तरह बेरी के मां भीमेश्वरी देवी मंदिर का बनेगा श्राइन बोर्ड

सोमवार को सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रीमंडल की बैठक

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 10:58 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 10:58 PM (IST)
मनसा देवी मंदिर की तरह बेरी के मां भीमेश्वरी देवी मंदिर का बनेगा श्राइन बोर्ड
मनसा देवी मंदिर की तरह बेरी के मां भीमेश्वरी देवी मंदिर का बनेगा श्राइन बोर्ड

जागरण संवाददाता, झज्जर : सोमवार को सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रीमंडल की बैठक में श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर (आश्रम), बेरी का श्राइन बोर्ड बनाए जाने का फैसला लिया गया है। दरअसल, मंदिर से जुड़ा एक केस न्यायालय में विचाराधीन है। इस पर न्यायालय ने सरकार को अपना फैसला लेने के लिए कहा था। सरकार ने अब इस मंदिर का मनसा देवी मंदिर की तरह श्राइन बोर्ड बनाने का यहां फैसला लिया है। कुल मिलाकर, लाखों लोगों की धार्मिक आस्था के प्रतीक मंदिर के श्राइन बोर्ड बनने से सौंदर्यीकरण एवं व्यवस्था से जुड़े पहलुओं पर नए सिरे से कार्य होने की उम्मीद जगी है। हालांकि, पिछले करीब 5 साल से चल रही कवायद में पहले ट्रस्ट से अपने अधिकार में स्वामित्व बोर्ड बनाकर सरकार ने मंदिर की व्यवस्था ले ली थी। तत्कालीन समय के बाद से अभी तक मंदिर एवं आस-पास के क्षेत्र में ज्यादा सुधार नहीं हो पाए हैं। मंदिर का निर्माण पहले जिस गति से चल रहा था, वह भी भव्य रूप नहीं ले पाया है। कुल मिलाकर, सरकार के स्तर पर श्राइन बोर्ड बनाए जाने के फैसले का कितना और कैसा असर पड़ता है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। हां, इतना अवश्य है कि क्षेत्र के लोग यह उम्मीद जरूर कर रहे हैं, कि मंदिर की भव्यता और यहां मिलने वाली सुविधाओं में इजाफा जरूर किया जाना चाहिए।

loksabha election banner

दो मंदिरों में होती है पूजा अर्चना :

बॉक्स : बता दें कि साल में दो दफा नवरात्र के मौके पर यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है । पूरे देश में यह ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां पर मां की मूर्ति तो एक है, लेकिन मंदिर दो। मां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा को बाहर वाले मंदिर में सुबह 5 बजे लाया जाता है। दोपहर 12 बजे मां की मूर्ति को पुजारी अपनी गोद में उठाकर शहर के अंदर वाले मंदिर में लेकर जाते हैं। बाद में मां रात भर अंदर वाले मंदिर में आराम करती हैं। सदियों से चली आ रही परंपरा को लेकर मान्यता है कि मां का मंदिर जंगलों में था। तब ऋषि दुर्वासा ने मां से विनती की थी कि कि वे उनके आश्रम में आकर भी रहे। तब से ही दो मंदिरों की परंपरा चल रही है।

महाभारत काल से जुड़ा मंदिर का इतिहास : महाभारत काल से मां भीमेश्वरी मंदिर का इतिहास जुड़ा है। बताते है कि मां की मूर्ति को पांडु पुत्र भीम पाकिस्तान के हिगलाज पर्वत से लेकर आया था। जब कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध की तैयारी चल रही थी तो भगवान कृष्ण ने भीम को कुल देवी मां से युद्ध में विजय का आशीर्वाद लेने भेजा था। भीम ने मां को अपने साथ चलने का आग्रह किया तो मां ने पांडु पुत्र से कहा कि मैं तुम्हारे साथ तो चलूंगी, लेकिन तुम मुझे अपनी गोद में रखोंगे। रास्ते में जहां भी उतारोगे मैं उस स्थान से आगे नहीं जाऊंगी। भीम ने मां की शर्त मान ली और गोद में उठाकर युद्ध भूमि की तरफ चले। बीच रास्ते में जब भीम मां को लेकर बेरी कस्बे से गुजर रहे थे तो भीम को लघुशंका के लिए मां को अपने कंधे से उतारना पड़ा। बाद में मां को वापस चलने के लिए अपनी गोद में उठाने लगा तो मां ने भीम को अपनी शर्त याद दिलाई। फिर भीम ने मां की पूजा कर बेरी के बाहर स्थापित कर दिया। तभी से मां को भीमेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है। युद्ध समाप्त होने के बाद गंधारी ने वहां पर मां का मंदिर बनवाया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.