चलो गांव की ओर : गांव धनिया आत्म निर्भरता के साथ दूसरों को भी दे रहा रोजगार
गांव की पहचान आरा मशीनों की मार्केट के रूप में भी जुड़ी हुई है।
संवाद सूत्र, साल्हावास : जिला के अंतिम छोर पर बसा गांव धनिया स्वयं तो आत्मनिर्भर है साथ ही आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर दे रहा है। गांव धनिया में करीब 50 से अधिक आरा मशीन (लकड़ी काटने की मशीन) हैं। जिनसे न केवल धनिया गांव, बल्कि आसपास के 15 गांवों के हजारों परिवारों को भी रोजगार मिल रहा है। बढ़ते कारोबार को देखते हुए यहां पर आसपास के 30 से अधिक गांवों के ग्रामीण भी लकड़ियां लेकर पहुंचते हैं। गांव की पहचान आरा मशीनों की मार्केट के रूप में भी जुड़ी हुई है। जिला मुख्यालय झज्जर से करीब 32 किलोमीटर दूर रेवाड़ी की सीमा पर बसे गांव धनिया के बुजुर्ग सूरत सिंह के मुताबिक गांव धनिया की भौगोलिक स्थिति बड़ी अच्छी है । गांव के एक तरफ नहर है तो दूसरी तरफ रेलवे लाइन। निवर्तमान सरपंच सरोज देवी है। गांव निर्मल गांव की श्रेणी में आता है इस गांव में विकास कार्यों की झड़ी लगी हुई है, खेतों के सभी रास्ते पक्के बने हुए हैं।
ग्रामीण राम कैलाश अनुसार गांव में 8 वार्ड हैं जिनमें 5 सामान्य श्रेणी से तो तीन आरक्षित श्रेणी के हैं । गांव में तीन चौपाल ,एक पंचायत भवन, एक जलघर ,पक्की सड़कें, खेल परिसर, पक्का जोहड, पार्क, मिडिल स्कूल आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं। नंबरदार अशोक ने बताया कि गांव के सभी लोग मिलकर रहते हैं। एक दूसरे का हर काम में साथ देते हैं। साथ ही ग्रामीण धार्मिक प्रवृति के है। गांव में दादा भैया, शिव मंदिर व हनुमान मंदिर, जगदीश की मढ़ी बनाई गई है। जहां पर ग्रामीण पूरी निष्ठा के साथ पूजा अर्चना करते हुए मंगल कामना के लिए प्रार्थना करते हैं। माइलाल खन्ना ने बताया कि गांव की आबादी लगभग दो हजार है। कुल मतदाता 1200 के लगभग हैं।