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बेहतर हो जल संचयन की व्यवस्था तो 10 सेंटीमीटर वर्षा से ही बच जाए 2 करोड़ क्यूबिक मीटर से पानी

जागरण संवाददाता झज्जर मानसून का इंतजार है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक जुलाई मा

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 12:19 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 06:38 AM (IST)
बेहतर हो जल संचयन की व्यवस्था तो 10 सेंटीमीटर वर्षा से ही बच जाए 2 करोड़ क्यूबिक मीटर से पानी
बेहतर हो जल संचयन की व्यवस्था तो 10 सेंटीमीटर वर्षा से ही बच जाए 2 करोड़ क्यूबिक मीटर से पानी

जागरण संवाददाता, झज्जर : मानसून का इंतजार है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक जुलाई माह के प्रथम सप्ताह से वर्षा का दौर शुरू हो सकता है। जिससे तालाबों में पानी भरेगा। वहीं गर्मी से तप रही भूमि की प्यास भी बुझेगी। जिससे निरंतर नीचे जा रहे भूमिगत जल स्तर पर भी ब्रेक लगना स्वभाविक है। साथ ही पशुओं के पीने के लिए पानी की कमी भी नहीं रहेगी। ऐसे में सामने दिख रहे मानसून को केंद्र में रखते हुए अगर प्रदेश भर में जल संचयन की व्यवस्था हो जाए तो मात्र 10 सेंटीमीटर तक होने वाली वर्षा से ही 2 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी की बचत हो सकती है। जी हां, सुनने में आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है। उल्लेखनीय है कि झज्जर जिला में जल संरक्षण को लेकर कोई बड़ी परियोजना नहीं है। फिलहाल वर्षा के पानी के संरक्षण के लिए तालाब ही एक मात्र सहारा हैं और सरकार भी तालाबों के थ्री पोंड सिस्टम के माध्यम से जल संचयन पर जोर दे रही है। विभाग के मुताबिक जिला में एक लाख 91 हजार हेक्टेयर भूमि कृषि और वन क्षेत्र के लिए है। इसके अलावा काफी क्षेत्र रिहायशी भी है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर एक हेक्टेयर भूमि में दस सेंटीमीटर वर्षा होती है तो 100 क्यूबिक मीटर पानी एकत्रित होता है। ऐसे में जिला की कुल भूमि में जल संचयन की दिशा में यह कदम बड़े बदलाव का सूचक साबित हो सकता है। ---गर्मी के मौसम में बढ़ती है पानी की डिमांड

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गर्मी के सीजन में ग्रामीण क्षेत्र हो या फिर शहरी क्षेत्र पानी की डिमांड अधिक बढ़ जाती है। जबकि आज भी साफ पानी की डिमांड के कारण महिलाओं के सिर से मटके नहीं उतर रहे हैं। नहरों व जल घरों के साथ लगे हैंडपंपों पर बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह व शाम के समय पानी भरती देखी जा सकती हैं। महिलाओं को दूर दराज के क्षेत्रों से सिर पर पानी ढोकर लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। शहरी क्षेत्र में तो सड़कों पर वाहनों के बीच से जान जोखिम में डालकर महिलाएं पानी भरकर लाती हैं और अपने परिवार के लोगों की प्यास बुझाती हैं। वहीं जलघरों से भी सप्लाई होने वाले पानी पर लोगों का आज तक विश्वास ही नहीं बन पाया है।

----किसानों के साथ-साथ हर स्तर पर मानसून का हो रहा इंतजार गर्मी से बचने के लिए एकमात्र उम्मीद बरसात है। साथ ही किसानों को धान आदि की खेती करने के लिए भी पानी की जरूरत है। किसान राज सिंह धनखड़ के मुताबिक एक सप्ताह के बाद पानी की व्यापक स्तर पर किसानों को जरूरत पड़ेगी। ऐसे में अगर बरसात आ जाती है तो जमीन की प्यास बुझने के साथ-साथ किसान को भी फायदा पहुंचेगा। चूंकि, जिन किसानों के खेत नहरों के आस-पास नहीं है, वहां पर ट्यूबवेल आदि की मदद से पानी की खपत को पूरा किया जाता है। इधर, लोग पिछले तीन दिन से वर्षा होने के इंतजार में बैठे हैं। तीन दिन पहले आसमान में छाए बादलों और चल रही हवाओं के कारण लोगों को गर्मी से कुछ राहत अवश्य मिली है। जबकि तापमान में भी निरंतर उतार चढ़ाव चल रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखा जाए तो अगले चार दिन में तीन डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है। ----एक दफा फिर तपिश ने किया परेशान

बृहस्पतिवार को एक दफा फिर तपिश ने परेशानी को बढ़ाने का काम किया है। दिन निकलने के साथ ही मौमस में तपिश का एहसास होता रहा। दोपहर बाद सड़कें सुनसान दिखाई दी और दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते हुए दिखाई दिए। कुल मिलाकर, गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। कूलर और एसी लोगों के लिए एकमात्र मदद का सहारा बने हुए है।


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