एशियाई खेलः हरियाणा के बजरंग ने दिलाया भारत को पहला गोल्ड, गांव में जश्न
जकार्ता में चल रहे एशियाई खेलों में हरियाणा के पहलवान बजरंग पुनिया ने भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया।
झज्जर [अमित पोपली]। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में चल रहे एशियाई खेलों में हरियाणा के पहलवान बजरंग पुनिया ने भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया। बजरंग ने फ्रीस्टाइल 65 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में जापान के पहलवान तकातानी डियाची को 11-8 से हराया। बजरंग के पैृतक गांव खुड्डन में उनकी जीत के साथ ही जश्न का माहौल बन गया। हर कोई गांव के लाल की जीत पर एक-दूसरे को मिठाई बांटने लगा।
महज 20 साल की उम्र में ग्लासगो कॉम्नवेल्थ में चांदी जीतने वाले बजरंग ने 2006 में महाराष्ट्र के लातूर में हुई स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद लगातार सात साल तक स्कूल नेशनल चैंपियनशिप का हीरो स्वर्ण पदक के साथ रहा। 2009 में उसने दिल्ली में बाल केसरी का खिताब जीता। इस उपलब्धि के बाद ही बजरंग का चयन भारतीय कुश्ती फेडरेशन ने 2010 में थाईलैंड में हुई जूनियर कुश्ती चैंपियंस के लिए किया।
बजरंग के गांव में जश्न मनाते लोग।
बजरंग ने पहली बार विदेशी धरती पर धाक जमाकर सोने पर कब्जा किया। 2011 की विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भी बजरंग ने फिर सोना जीता। 2014 में हंगरी में हुए विश्वकप मुकाबले में बजरंग ने कांस्य जीतकर अपने चयन को सही ठहराया।
26 फरवरी 1994 को जन्मे बजरंग ने मात्र 7 वर्ष की आयु में रेसलिंग शुरू की थी। कुश्ती के लिए उनके पिता चाहते थे कि बजरंग एक सफल रेसलर बने। इसके लिए उन्होंने बचपन से ही बजरंग का बहुत सपोर्ट किया। खुड्डन निवासी बजरंग पुनिया और उसके परिवार ने बड़ी करीब से गरीबी देखी है। दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती का ककहरा सीख रहे पुत्र को देशी घी देने के लिए पिता बलवान बस का किराया बचाने के लिए कई बार साइकिल पर गए, तो बजरंग की मां ओमप्यारी ने चूल्हे की कालिख सहकर लाडले को शुद्ध दूध भिजवाया।
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