आइएनए के सिपाही छोटूराम पंचतत्व में विलीन, नम आंखों से दी विदाई
- गांव धौड़ में बड़ी संख्या में मौजूद रहे ग्रामीण जागरण संवाददाता झज्जर अ
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- गांव धौड़ में बड़ी संख्या में मौजूद रहे ग्रामीण जागरण संवाददाता, झज्जर : आजाद हिद फौज (आइएनए) के सिपाही रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उन्हें सम्मान के साथ लोगों ने नम आंखों से विदाई दी। स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से जुड़े लोग हो या अन्य सभी ने सम्मान पूर्वक अंतिम विदाई दी। वहीं उनके पुराने साथी एवं स्वतंत्रता सेना उत्तराधिकारी संगठन के चेयरपर्सन ललती राम भी पहुंचे। फिलहाल स्वतंत्रता सेनानी छोटूराम अपने परिवार के साथ शहर के आर्य नगर में रहते थे। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़कर गए हैं।
बड़े बेटे रणबीर सिंह ने बताया कि उनके पिता छोटूराम का करीब 2 वर्ष पहले पांव का ऑपरेशन हुआ था। इसके बाद वे घर पर ही रहते थे। रविवार को सुबह करीब साढ़े तीन बजे अपने पिता छोटूराम को कंबल ओढ़ाया था। वहीं करीब साढ़े चार बजे छोटे भाई जसबीर ने पिता से पूछा तो ठंड लगने की बात कहीं थी। सुबह करीब सवा पांच बजे चाय देने के लिए उनके पास गए तो उनकी मौत हो चुकी थी। छोटूराम को दो लड़के व चार लड़कियां हैं। सबसे बड़ी लड़की ईशवंती अध्यापक पद से, दूसरे नंबर का बेटा रणबीर सिंह तहसीलदार पद से, तीसरे नंबर की बेटी जसवंती, चौथे नंबर का बेटा जसबीर जेई पद से, पांचवें नंबर की बेटी सत्यवती व छठे नंबर की बेटी शीलो अध्यापक पद से सेवानिवृत्त है। बॉक्स :
पैतृक गांव धौड़ में स्वतंत्रता सेनानी छोटूराम का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ किया गया। हरियाणा पुलिस की टुकड़ी ने मातमी धुन के साथ हवाई फायर कर शहीद को अंतिम सलामी दी। प्रशासन की ओर से बेरी के नायब तहसीलदार रमेश कुमार ने स्वतंत्रता सेनानी के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाया। उनकी अंतिम यात्रा में स्वतंत्रता सेनानी आयोग के चेयरमैन ललतीराम, बेरी से विधायक डा. रघुवीर कादियान की पत्नी उतरा कादियान, कप्तान जयचंद, कप्तान बस्तीराम, सूबेदार सुभाषचंद, आर्यसमाज के मंत्री मांगेराम, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष रवि कादियान, अमरजीत अहलावत सहित अनेक ग्रामीण शामिल हुए।
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स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष रवि कादियान ने बताया कि मात्र 18 साल की उम्र में देश सेवा के लिए आइएनए में शामिल होने वाले स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान में सरकार के स्तर पर लापरवाही बरती गई है। जिस स्तर पर एक स्वतंत्रता सेनानी को सम्मान मिलना चाहिए था। उसकी कमी यहां साफ दिखाई देती है। 90 की उम्र पार कर चुके स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या काफी कम है। देखा जाए तो आने वाली पीढ़ी को भी इनसे काफी कुछ सीखने को मिला है। जबकि, सरकार के स्तर पर जिस तरह से अंतिम संस्कार के दौरान सलामी देने सहित विशिष्ट लोगों के पहुंचने की स्थिति दिखाई दी, वह चिता का विषय है।