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स्टेट के लिए : ..हमसे खाई खुदवाने के बाद साथियों को दबवाया खाई में

- फरमान आया और चार कदम पहले ही सिर कलम करने का रोका गया सिलसिला - बोले

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 10:44 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 06:17 AM (IST)
स्टेट के लिए : ..हमसे खाई खुदवाने के बाद साथियों को दबवाया खाई में
स्टेट के लिए : ..हमसे खाई खुदवाने के बाद साथियों को दबवाया खाई में

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- फरमान आया और चार कदम पहले ही सिर कलम करने का रोका गया सिलसिला

- बोले ललती राम, एक साथ बैठे थे हम, रेडियो पर आया था सुभाष चंद्र बोस की मौत का झूठा संदेशा दीपक शर्मा , झज्जर : जापान की जेल में बंद आजाद हिद फौज (आइएनए) के सिपाहियों से पहले खाई खुदवाई गई। इसके बाद एक-एक करके सिपाहियों के सर कलम करने का सिलसिला शुरू कर दिया। सिर कलम करने के बाद उन्हें खाई में डाल देते और आइएनए के सिपाहियों से खाई में दबवाया जाता। लेकिन, इसी बीच भारत से एक फरमान गया। जिसके बाद सिर कलम करने के सिलसिले को रोका गया। उस समय आइएनए के सिपाही छोटू राम राज्याण से आगे 3 लोग और थे। उनमें से एक उनके परिवार में चाचा जागेराम भी थे, जो छोटूराम से तुरंत आगे ही थे। बाद में खाने के लिए चावल व चने भी दिए गए। यह बात छोटू राम राज्याण के छोटे भाई हवा सिंह राज्याण ने बताई। जैसा कि उन्हें बड़े भाई ने फौज से लौटने के बाद बताया था।

हवासिंह ने बताया कि उनके बड़े भाई छोटूराम राज्याण अनपढ़ होते हुए भी हर कार्य में अग्रणीय रहते थे। आजाद हिद फौज से जुड़ने के बाद उन्हें खत (पत्र) लिखना व पढ़ना भी आने लगा था। जब वे वापस लौटे तो उन्हें सरकार द्वारा कोई मदद नहीं दी गई। वहीं इसके बाद वे आर्मी में शामिल हुए। आर्मी से आने के बाद वे मध्यप्रदेश पुलिस में हवलदार पद पर भी रहे। हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें पेंशन मिलने लगी थी। जब भी हम मिलते थे अपनी पुराने समय की यादों को हमेशा सांझा करते थे। साथ ही आजाद हिद फौज व जेल में काटे समय के बारे में भी बताते थे। परिवार के बच्चे उनकी बातों को बड़ा ध्यान पूर्वक सुनते थे। बॉक्स : आजाद हिद फौज के सिपाही एवं स्वतंत्रा सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के चेयरपर्सन गांव दुबलधन निवासी 99 वर्षीय ललतीराम ने बताया कि उनका छोटूराम राज्याण के साथ शुरूआत से ही लगाव था। जिस समय रेडियो पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मौत होने की सूचना सुनी थी, उस समय वह नेताजी के पास बैठे थे। साथ में छोटूराम भी मौजूद थे। सरकार ने झूठी सूचना का प्रसारण करवाया था। रविवार को गांव धौड़ में जब वे अपने साथी छोटूराम को अंतिम विदाई देने पहुंचे तो उनकी आंखे भी नम हो गई। उन्होंने कहा कि दोनों ने आजाद हिद फौज में एक साथ काफी काम किया था। इसके बाद भी दोनों का आपस में लगाव था और मिलते रहते थे।


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