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घरों में रखी खून पसीने की मेहनत को सही समय पर उचित दाम का इंतजार

सरकार ने 1 अक्टूबर से मंडियों में बाजरे की खरीद शुरू कर दी थी। लेकिन शेड्यूल में काफी कम किसानों का ही नाम आ रहा। इसलिए काफी किसान ऐसे भी बचे हुए है जिनको अभी तक मैसेज नहीं आ पाया है। जिससे किसानों को दोहरी चिता सता रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 09:00 AM (IST)
घरों में रखी खून पसीने की मेहनत को सही समय पर उचित दाम का इंतजार
घरों में रखी खून पसीने की मेहनत को सही समय पर उचित दाम का इंतजार

संवाद सूत्र, साल्हावास : सरकार ने 1 अक्टूबर से मंडियों में बाजरे की खरीद शुरू कर दी थी। लेकिन शेड्यूल में काफी कम किसानों का ही नाम आ रहा। इसलिए काफी किसान ऐसे भी बचे हुए है, जिनको अभी तक मैसेज नहीं आ पाया है। जिससे किसानों को दोहरी चिता सता रही है।

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एक तरफ बाजरा न बिकने का डर लगा हुआ है तो दूसरी तरफ घरों में रखे बाजरे में नुकसान होने का भय सता रहा है। आरोप है कि सरकार द्वारा किसानों की संख्या बढ़ाने की तरफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। अगर किसानों का बाजरा सरकारी कीमत पर 2150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से नहीं बिका तो मजबूरन उन्हें नुकसान उठाकर बेचना पड़ेगा।

किसान सुनील कुमार रूढि़यावास, नवीन कुमार रूढि़यावास, अजय रूढि़यावास, दीपक मातनहेल, मंजीत मातनहेल, इंद्र सिंह मातनहेल, रामचंद्र अकेहड़ी मदनपुर, राजेंद्र सिंह हमायुपुर, चंदन सिंह हमायुपुर, ओमप्रकाश, यादराम, अनिल कुमार व अशोक कुमार ने कहा कि बाजरा खरीद को 22 दिन हो चुके हैं। लेकिन मातनहेल मंडी के अंतर्गत आने वाले गांवों में बड़ी संख्या में किसानों का एक बार भी बाजरा बेचने का नंबर नहीं आया है। किसानों को चिता सताने लगी हैं, कि सरकार का टारगेट कब पूरा हो जाए और खरीद बंद कर दे। इसके चलते किसान मार्केट कमेटी अधिकारियों से शिकायत कर इस समस्या के समाधान की गुहार लगा रहे हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी मैसेज नहीं आया

किसान सुनील कुमार ने बताया कि उसने गांव की 14 एकड़ पंचायती जमीन पट्टे पर लेकर, 4 एकड़ खुद की और 5 एकड़ गांव के अन्य व्यक्ति की जमीन बंटाई पर ली हुई है। जिसमें बाजरे की बिजाई की थी और अब करीब 100-110 क्विटल बाजरा भी हुआ है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी अभी तब बाजरा बेचने के लिए कोई मैसेज नहीं आया। बाजरा अपने प्लाट में खुले में डालना पड़ रहा है। ऊपर से दो दिन से मौसम भी खराब है, अगर बरसात होती है तो बाजरा खराब होने का भय भी लगा रहता है। वे बार-बार मंडी व मार्केट कमेटी के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनका बाजरा खरीद के शेड्यूल में नाम नहीं आ रहा। 5 से 10 अक्टूबर का दिया समय, मैसेज का इंतजार

गांव मातनहेल निवासी किसान सुरेंद्र सिंह कहा कि उसने 2 एकड़ में बाजरे की बिजाई की थी। रजिस्ट्रेशन भी समय पर करवाया। रजिस्ट्रेशन कराते वक्त अक्टूबर के 5 से 10 अक्टूबर तक बाजरा बेचने का समय दिया था, लेकिन आज तक कोई मैसेज नहीं आया है। अब चिता है कि कहीं सरकार मंडी को बंद ना कर दे। अगर खरीद बंद होती है तो बाजरा कहा बेचेंगे।


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