यहां लौटाया जा रहा कूड़ा बीनने वाले बच्चों का बचपन, सिखाया जा रहा ककहरा
झज्जर बाल भवन में एक अनूठा प्रयोग अमल में लाया जा रहा है। पिछले कुछ समय से लगातार बचपन को कुछ पल लौटाने का प्रयास किया जा रहा है।
झज्जर [अमित पोपली]। मुनव्वर राणा कहते हैं कि घर का बोझ उठाने वाले बच्चे की तकदीर न पूछ, बचपन घर से बाहर निकला और खिलौना टूट गया। खिलौनों के टूट जाने के बाद भी बचपन से रिश्ता यूं ही बरकरार रहे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बाल भवन में एक अनूठा प्रयोग अमल में लाया जा रहा है। पिछले कुछ समय से लगातार बचपन को कुछ पल लौटाने का प्रयास किया जा रहा है।
कूड़ा बीनने वाले और सैकड़ों किलोमीटर दूर रोजगार की तलाश में आकर यहां बसे परिवारों के बच्चों को बैग, कपड़ा, भोजन और मनोरंजन के सभी साधन मुहैया कराए जा रहे हैं। 100 से अधिक बच्चों को शिक्षा की डगर पर लाया गया है ताकि भविष्य में उनके कदम न डगमगाएं।
हिंदी भाषा को भी ठीक ढंग से भी न समझ पाने वाले इन बच्चों को बाल भवन तक लाना इतना आसान नहीं था। पहले तो गलियों से कूड़ा-कचरा उठाकर अपने माता-पिता की मदद करने वाले इन बच्चों को भेजने में परिवार ने भी खूब एतराज जताया। मगर बाल अधिकार संरक्षण विभाग की टीम ने हार नहीं मानी।
झज्जर के बाल भवन में खाना खाते कूड़ा बीनने वाले बच्चे।
बाल संरक्षण अधिकारी अन्नू, पीओ विकास वर्मा के मुताबिक इनके अभिभावकों की लगातार काउंसलिंग की गई। शुरू में जब गाड़ी भेजी जाती थी तो कोई उसमें बैठता ही नहीं था। अब जब यह सिलसिला चल निकला है तो बच्चे दौड़ कर आते हैं और हंसी खुशी समय व्यतीत करते हैं।
खेल के साथ शिक्षा व संस्कृति का पाठ
यहां खेल-खेल में बच्चों की पढ़ाई के साथ पेट पूजा भी होती है। बाद में कभी उन्हें कहानियां सुनाई जाती हैं तो हिंदी गानों पर नृत्य करना भी सिखाया जाता है। अब इन बच्चों का मन यहां इतना रम गया है कि उन्हें कंधे पर कूड़े-कचरे के थैले के बजाय स्कूल का बैग अच्छा लगता है।
डीसीडब्ल्यूओ सुरेखा हुड़्डा एवं डीसीपीओ लतिका के मुताबिक यहां एक दफा भी आने वाले बच्चे का रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है। बहुत से परिवार ऐसे हैं जो कई माह के लिए घर चले जाते हैं। उनके लौटने पर उन्हें पुन: संस्था से जोड़ने का काम किया जा रहा है। बाल श्रम और कुषोषण से जूझ रहे बच्चों को स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ बेहतर जीवन देने का सपना है।
झज्जर के उपायुक्त सोनल गोयल का कहना है कि सांझी मदद के रूप में एक ऐसा ही प्रयास कुछ माह पूर्व शुरू किया गया था। हजारों जरूरतमंदों को फायदा पहुंचाया जा चुका है। बाल भवन में विशेषज्ञों की निगरानी में ऐसे सभी जरूरतमंद बच्चों सर्वांगीण विकास के दृष्टिगत खास ध्यान रखा जा रहा है जो सुविधाओं से महरूम हैं।