पीने लायक साफ पानी उपलब्ध नहीं होने से बढ़ रही अवैध कारोबार में जुटे लोगों की दबंगई, कोई रिकॉर्ड नहीं
जागरण संवाददाता, झज्जर: अवैध रूप से पानी बेचने वाले लोग फिल्टर किए हुए शुद्ध पानी के नाम पर
जागरण संवाददाता, झज्जर: अवैध रूप से पानी बेचने वाले लोग फिल्टर किए हुए शुद्ध पानी के नाम पर जहां शहरवासियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है। वहीं दबंगई दिखाते हुए ट्रैफिक नियमों की अवहलेना भी कर रहे हैं। स्थिति यह है कि अपनी मर्जी के मुताबिक इनका जहां मन करता है, वहां गाड़ियां रोकते हैं। इतना ही नहीं वाहन चालकों और दुकानदारों के ऐतराज करने पर झगड़ा करने को उतारू हो जाते हैं। घरों, दुकानों यहां तक की सरकारी संस्थानों तक पानी की सप्लाई इन्हीं के माध्यम से हो रही है। जबकि प्रशासन की नाक के तले यह सारा खेल खेला जा रहा है। लेकिन व्यवस्था आंखें मुंदे बैठा हुआ है। जनस्वास्थ्य विभाग और शहरी इकाई तक का तो यह कहना है कि इनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालात यह है कि शहरी क्षेत्र के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में भी इनका वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। शहर में कई स्थानों पर करीब आठ से दस की संख्या में प्लांट अवैध रूप से चल रहे हैं। देखा जाए तो जन स्वास्थ्य विभाग शहरवासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। जिसके कारण लोगों को मजबूरी में इनसे पानी भी खरीदना पड़ता है और इनकी दबंगई भी सहनी पड़ रही है। जिसके कारण लोग प्रतिदिन रुपये भी खर्च कर रहे है और उनके स्वास्थ्य पर भी इस पानी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जबकि बढ़ रही इस समस्या के लिए कोई जिम्मेवार नहीं है। ----घरों में होने वाले पानी की सप्लाई पर लोगों का नहीं है विश्वास
शहर के जैन गली, सीताराम गेट सहित कई क्षेत्रों में अक्सर गंदे पानी की सप्लाई होती है। कई बार तो इतना गंदा पानी आता है कि सीवरेज के पानी से भी ज्यादा गंदी बदबू आती है। जिसके चलते फिल्टर किए हुए इस पानी की डिमांड बढ़ गई है। लोग अपने रोजमर्रा के कार्य निपटाने के लिए तो सप्लाई का पानी इस्तेमाल कर लेते है। लेकिन पीने के लिए पानी खरीद रहे है। जैन गली की समस्या को दैनिक जागरण द्वारा प्रमुखता से उठाए जाने के बाद विभागीय टीम ने मौका मुआयना तो किया। लेकिन समाधान होना शेष है। लोग अभी भी गंदे पानी की समस्या से परेशान है। खराब पानी की वजह से लोगों को एलर्जी की शिकायत होने लगी हैं। 15 से 20 गाड़ियां तीन से चार घंटे तक दिखती है सड़कों पर शहर का पूरा बाजार सहित अधिकांश सरकारी विभाग भी अवैध रूप से बेचे जा रहे इस पानी पर ही आश्रित है। इन संस्थानों और दुकानों पर पानी की सप्लाई की पूर्ति के लिए 15 से 20 गाड़ियां प्रतिदिन सड़कों पर उतर आती है। ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखते हुए इन गाड़ियों के चालक अपनी मर्जी के मुताबिक काम करते है। यातायात व्यवस्था को दुरूस्त रखने के लिए विभिन्न चौक-चौराहों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस के जवान भी इन गाड़ी चालकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कर तो गलत ही रहे है, लेकिन यह पानी खरीदना मजबूरी बना हुआ है। ----खेड़ी-खुमार गांव के लोग है नहरी पानी पर आश्रित शहरी क्षेत्र के अलावा गांव भी अब गंदे पानी की समस्या से अछूते नहीं रहे है। यहां से खेड़ी-खुमार गांव के लोग भी स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति नहीं होने से परेशान है। ग्रामीण प्रतिदिन हजारों रुपये पानी पर ही बहा रहे है। लोगों में जहां एलर्जी संबंधित बीमारियां होने लगी है तो पशुओं में मुंह खूर की बीमारी होने लगी है। पशुओं का दूध सूखने लगा है। लोगों की समस्या को दैनिक जागरण द्वारा प्रमुखता से उठाए जाने के बाद गांव में नहर तो आई है, लेकिन विभागीय स्तर पर कोई ठोस उपाय नहीं किए गए है।
---यह विषय हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। पालिका क्षेत्र में हो रहा है तो संबंधित विभाग कार्यवाही करें। जमीन के नीचे से अतिरिक्त दोहन किया जा रहा है तो भी हमारे से जुड़ा पहलू नहीं है। साथ ही अगर पानी साफ नहीं है तो स्वास्थ्य विभाग चैक करें।
---आरपी वशिष्ठ, कार्यकारी अभियंता, जन स्वास्थ्य विभाग
---हमारे पास जमीन के नीचे से अतिरिक्त जल का दोहन कर रहे प्लांटों एवं बिक्री कर रहे लोगों की सूचना नहीं है। ऐसी ना तो कोई सूची है और ना ही रजिस्ट्रेशन।
====नरेंद्र सैनी, पालिका सचिव