देवउठनी एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में माना गया श्रेष्ठ
- श्रेष्ठ होता है कार्तिक मास में नित्यप्रति यज्ञ अनिल भारद्वाज
- श्रेष्ठ होता है कार्तिक मास में नित्यप्रति यज्ञ : अनिल भारद्वाज
- चतुर्मास समाप्त, आरंभ होंगे मांगलिक कार्य जागरण संवाददाता, झज्जर : कार्तिक मास के दौरान श्री नवदुर्गा मंदिर बूढ़ा महादेव में नित्यप्रति हवन यज्ञ का आयोजन जारी है। पिछले कई वर्षों से परम्परा अनुसार जारी यज्ञ का समापन कार्तिक पूर्णिमा अर्थात गंगा स्नान पर होगा। पंडित अनिल भारद्वाज ने बताया कि कार्तिक मास को सबसे सर्वोत्तम मास माना गया है। कार्तिक मास को धर्म -कर्म और पुण्य का मास कहा जाता हैं। भारद्वाज ने देवउठनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का हिदू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है। जिसे देवउठनी एकादशी या देवोत्थान प्रबोधनी एकादशी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी का उपवास रखा जाएगा। इस दिन जगत के पालन कर्ता भगवान श्री हरि विष्णु चार माह की चिर निद्रा के बाद जागते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के उपरांत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाते है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनका स्वागत किया जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. यह व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है। साथ सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। - ललिता प्रसाद दुर्गा मन्दिर समिति के महासचिव अधिवक्ता मानक चन्द गुप्ता ने बताया कि 52 वर्ष पूर्व लाला भगत राम पंसारी ने मंदिर में हवन यज्ञ की प्रथा को आरम्भ किया था। लंबे समय बाद भी उनकी इस प्रथा का अनुसरण निरंतर जारी है। मंदिर श्री बूढ़ा महादेव में जारी यज्ञ में भक्त सुभाष बिद्रा, अमित शास्त्री, बीआर परिवार सहित अन्य कई लोगों ने प्रतिदिन हवन यज्ञ में आहुति दी।