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नेत्रहीन गाय की याद में बड़ी शान से हुआ बाढ़सा में हुआ देशौरी भंडारा

संवाद सूत्र बाढ़सा हर घर में गाय रखने की प्रेरणा देते हुए बाढ़सा गांव में नेत्रहीन गाय क

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 06:45 AM (IST)
नेत्रहीन गाय की याद में बड़ी शान से हुआ बाढ़सा में हुआ देशौरी भंडारा
नेत्रहीन गाय की याद में बड़ी शान से हुआ बाढ़सा में हुआ देशौरी भंडारा

संवाद सूत्र, बाढ़सा : हर घर में गाय रखने की प्रेरणा देते हुए बाढ़सा गांव में नेत्रहीन गाय के सम्मान में देशौरी भंडारा का आयोजन हुआ। पिछले कई दिनों से की जा रही तैयारियों का आज यहां रविवार को खूब असर भी देखने को मिला। बड़ी संख्या में मौजूद रहे लोगों ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया और गौ माता के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की। खाप और तपों से जुड़े हुए प्रधान विशेष रूप से कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। जिन्हें कार्यक्रम स्थल तक लाने की व्यवस्था भी उसी शान से की गई। हाथी आदि पर बैठाकर उन्हें कार्यक्रम स्थल तक लाया गया। यहां पहुंचे प्रधानों के स्वागत में घोड़िया नाच रही थी। ऊटों ने ढोल की थाप पर नाचकर कार्यक्रम में एक अलग अहसास करवाया। ड्रोन की मदद से अतिथियों का स्वागत फूलों को बरसाकर किया गया। विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए । जिसमें हरियाणवीं कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी। गांव में एम्स-2 स्थापित होना और कैंसर संस्थान जैसी बड़ी परियोजनाओं के शुरू होने का श्रेय भी ग्रामीण इसी गऊमाता को देते हैं। लंबे समय तक मेहनत करने वाली मिश्री देवी गांव में सरपंच रही है जबकि परिवार की बहू नरेश देवी हाल समय में गांव में सरपंच है।

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---6 साल पहले हुई थी गाय की मौत बाढ़सा गांव के रामहेर ने अपने घर पर 24 साल तक नेत्रहीन गाय की देखभाल की थी। सेवा भाव से गाय की देखभाल करते हुए रामहेर के निधन के बाद पत्नी मिश्री देवी ने गाय की सेवा की। मिश्री देवी गांव की सरपंच भी बनी और एम्स के लिए 300 एकड़ जमीन देने में विशेष भूमिका निभाई थी। जोगेन्द्र डायरेक्टर का कहना है कि 2013 में गाय की मौत पर ही उन्होंने कारज का मन बनाया। किन्हीं कारणों के चलते यह कार्य पूरा नहीं हो पाया। अब गौ माता के आशीर्वाद से ही ऐसा मौका आया है। जिसके परिणाम स्वरूप कार्य यहां पूरा हो पाया। सभी की कामना है कि आने वाले समय में भी गौ माता की गाय पर यूं ही कृपा बनी रहेगी। ----अपने आप में पहली दफा हुआ ऐसा आयोजन धार्मिक स्तर पर बड़े आयोजन होने की अक्सर चर्चाएं होती है। लेकिन गाय की मौत के बाद इतना बड़ा कार्यक्रम होना, बेशक ही सम्मान का विषय है। गाय के कारज में हजारों की संख्या में गऊभक्तों ने भाग लिया। जबकि प्रदेश की प्राय: गऊशालाओं और अस्पतालों से प्रबंधक पहुंचे। जबकि सफल आयोजन के लिए 84 गांवों के प्रतिनिधियों ने भी कमान संभाली। कारज की अध्यक्षता गुलिया खाप 84 प्रधान सुनील जहांगीरपुर द्वारा की गई। सुनील गुलिया ने कहा कि जोगेन्द्र की ओर से गाय के कारज का फैसला लेना सराहनीय कार्य है जिससे हर परिवार को घर में गाय रखने की प्ररेणा मिलेगी। जोगेन्द्र डायरेक्टर ने बताया कि कारज के लिए पूरे देश में न्यौता दिया था। इसके अतिरिक्त हरियाणा की सभी 153 गऊशालाओं और गऊओं के लिए सरकार से प्रमाणित 50 अस्पतालों में आयोजकों की ओर से दान दिया गया। गांव में गाय की प्रतिमा भी स्थापित की जा रही है।

कारज में सभी तपो के प्रधानों में सुनील गुलिया, नौगांव से राव धर्मबीर खेड़ा झांझलौला, हरेन्द्र चाहार सिलाना, पाटौदा ठाकुर बीरसिंह, हिद केसरी पहलवान नवीन, कुलदीप वत्स, अजय गुलिया, धर्मेन्द्र बामड़ौला, मामन ठेकदार, जराऊ माजरा प्रधान राव कर्णसिंह, तिरपड़ी 17 से अजीत सिंह, संजीत प्रधान, जोगेन्द्र प्रधान सहित सभी गांवों के प्रधान और हजारों की संख्या में आसपास के ग्रामीण मौजूद रहे।


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