बरसात और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने में जुटे विभागीय अधिकारी
संवाद सूत्र, बेरी : बृहस्पतिवार शाम हुई बरसात और ओलावृष्टि से क्षेत्र में सरसों की फसल को
संवाद सूत्र, बेरी : बृहस्पतिवार शाम हुई बरसात और ओलावृष्टि से क्षेत्र में सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण किसानों की ¨चता अभी भी बढ़ी हुई है। बेरी क्षेत्र के सिवाना, चिमनी, माजरा, दूबलधन सहित अन्य गांवों में ओलावृष्टि का असर ज्यादा तो शहरी क्षेत्र में इसका असर आंशिक ही रहा हैं। विभागीय अधिकारी बरसात और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने में जुटे है। अधिकारियों का कहना है कि तीन दिन बाद ही नुकसान की वास्तविक स्थिति का आंकलन हो पाएगा। वहीं बृहस्पतिवार रात भर आसमान में बादल छाए और रूक-रूक कर बूंदा-बांदी भी होती रही। जिसके चलते किसानों की ¨चता और अधिक बढ़ गई। लेकिन शुक्रवार सुबह मौसम साफ रहा और दिनभर धूप निकली रहने से किसानों के लिए सुखद रहा। हालांकि, दिनभर सर्द हवाओं ने ठंड का बराबर अहसास करवाए रखा। मौसम विशेषज्ञ आगामी दो दिनों तक मौसम परिवर्तनशील रहने का अनुमान लगा रहे हैं। ---- दस एकड़ में सरसों की बिजाई की हुई हैं। ओलावृष्टि से सरसों की फलियां टूट गई है और गेहूं की फसल को भी नुकसान हुआ है। आसमान में बादल छा जाने से ही डर लगने लगता हैं। कहीं दोबारा बरसात ना हो जाएं। अगर फिर बरसात होती है तो पूरी फसल ही नष्ट हो जाएंगी।
----नवीन, किसान गांव सिवाना। बृहस्पतिवार को 15 से 20 मिनट तक हुई ओलावृष्टि से सरसों को ज्यादा नुकसान हुआ है। सरसों के पौधे जमीन की ओर झुक गए हैं। फसल पकने को तैयार खड़ी है। ऐसे में बारिश और ओलावृष्टि करके भगवान ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी हैं।
-----सुनील, किसान गांव सिवाना। :::::::
रामजी भी इसे टैम बरसा है, जब पानी की जरूरत नहीं थी। सरसों की फसल तो पूरी तैयारी में हैं। ओलावृष्टि और बारिश ने समस्या बढ़ा दी है। मेहनत और रुपया दोनों खराब होने का डर सताने लगा हैं। जिसके चलते परेशानी हो रही है।
----भागमल, किसान गांव सिवाना। ----अबकि बार पैदावार अच्छी होने की संभावना थी, क्योंकि मौसम किसानों और फसल दोनों के लिए ही अनुकूल रहा था। लेकिन अंतिम चरण में बारिश के साथ ओलावृष्टि से सरसों की फसल पर कुदरती कहर बरसा हैं। यदि मौसम आगे भी ऐसा रहा तो गेहूं की फसल को भी नुकसान होगा।
मनीष कादियान, किसान चिमनी। फसलों को कितना नुकसान हुआ है, इसका वास्तविक आंकलन तो तीन दिन बाद ही हो पाएगा। आंशिक तौर पर सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। मौसम के बदलाव को देखते हुए किसानों को खेतों में ¨सचाई नहीं करनी चाहिए।
----रोहताश, डीडीए।