गांव बिरधाना में दशकों पुरानी पेयजल समस्या का अंत
जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव बिरधाना की दशकों से चली आ रही पीने के पानी की समस्या का अब अंत होता दिखाई दे रहा है। कारण कि गांव में पानी की उचित सुविधा नहीं होने के कारण गांव वालों को पानी लाने के लिए दूरदराज जाना पड़ता था।
संवाद सूत्र, बेरी : जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव बिरधाना की दशकों से चली आ रही पीने के पानी की समस्या का अब अंत होता दिखाई दे रहा है। कारण कि गांव में पानी की उचित सुविधा नहीं होने के कारण गांव वालों को पानी लाने के लिए दूरदराज जाना पड़ता था।
लगातार परेशान हो रहे ग्रामीणों की इस समस्या का हल निकालते हुए गांव के ही नामी पहलवान सत्ते ने अपने स्वजनों के साथ एक सराहनीय कदम बढ़ाया है। सत्ते के पिता जिले सिंह दहिया, भाई राजबीर सिंह, रामपाल सिंह, सतपाल पहलवान, मंजीत उर्फ भोला, जयपाल उर्फ सोनू ने अपने पूर्वज माता किताबो देवी, दादा मल्हूराम, दादी सरती देवी की स्मृति में लाखों रुपये खर्च कर गांव में पीने के पानी की कमी को दूर करते हुए चार बूस्टर बनवा दिए हैं। इधर, ग्रामीणों ने भी सत्ते पहलवान के परिवार द्वारा उठाए गए इस कदम की प्रशंसा की है।
दशकों से चली आ रही थी पीने के पानी की समस्या
ग्रामीणों के मुताबिक काफी लंबे समय से गांव में पीने के पानी को लेकर बहुत ज्यादा समस्या है। खास तौर पर महिलाओं को पीने का पानी लेने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता था। इसके बाद धीरे-धीरे पुरूषों ने समस्या को समझना शुरू किया तो गांव के पुरूष नहर तक पानी लेने के लिए जाने लगे। कई बार तो ऐसा होता कि घर में कोई भी बुजुर्ग बीमार हो जाए तो पानी समय पर उपलब्ध भी नहीं होता था या फिर न पीने योग्य पानी पीकर ही गुजारा करना पड़ता था। नहर से पाइपलाइन बिछाई, गांव में बनवाया बूस्टर
सबसे पहले इसके लिए नहर से लेकर गांव तक पानी के लिए पाइपलाइन बिछाई गई। उसके पश्चात गांव में बूस्टर निर्माण का कार्य शुरू हुआ। चार बूस्टर गांव में तैयार होने के बाद पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। अब लोगों को पीने का पानी भरपूर मात्रा में मिल रहा है। बता दे कि सत्ते पहलवान बचपन से एक खिलाड़ी है। पहलवानी करते हुए इन्होंने कई बड़े ईनाम भी जीते है। आज भी इनके अखाड़े में कई युवा पहलवान तैयार हो रहे है। सत्ते पहलवान के अनुसार उसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को मजबूत करना है ताकि युवा मजबूत हो तो राष्ट्र मजबूत हो। अब उनका अगला मकसद युवाओं के खेलों की तरफ ध्यान देना है।