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कंपनी ने किया था वाटरप्रूफ माेबाइल फोन का दावा, अदालत में ऐसी खुली पोल

कंपनी ने अपने मोबाइल फोन के वाटरप्रूफ होने का दावा किया। ग्राहक ने यह महंगा मोबाइल फोन खरीदा तो कुछ दिन बाद ही वह खराब हाे गया। राहत न मिलने पर वह उपभोक्‍ता कोर्ट पहुंचा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 08:53 PM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 09:14 AM (IST)
कंपनी ने किया था वाटरप्रूफ माेबाइल फोन का दावा, अदालत में ऐसी खुली पोल
कंपनी ने किया था वाटरप्रूफ माेबाइल फोन का दावा, अदालत में ऐसी खुली पोल

झज्जर, [अमित पोपली]। एक उपभोक्‍ता ने 56 हजार 900 रुपये का मोबाइल फोन खरीदा। कंपनी का दावा था कि यह मोबाइल फोन वाटरप्रूफ है। माेबाइल खराब होने पर उसे कंपनी से राहत नहीं मिली तो उपभोक्‍ता ने कंज्‍यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने मोबाइल को भरी अदालत में  पानी में डलवाया तो कंपनी की पोल खुल गई। पानी में डालने पर मोबाइल बंद हो गया। अब अदालत ने कंपनी से ग्राहक को मोबाइल की पूरी कीमत देने के साथ-साथ हर्जाना देने का भी आदेश दिया।

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56 हजार 900 रूपये में खरीदा था मोबाइल, वारंटी में नहीं मिली राहत तो मजबूरन गया अदालत में

उपभोक्ता को इस बात का मलाल है कि वह उसे उतने घंटे भी ठीक ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाया, जितना उसे लेकर परेशान हुआ और सर्विस सेंटर के चक्‍कर लगाए। शहर के घोसियान मौहल्ला निवासी साहिल जसवाल उर्फ लक्की ने बताया कि उसने नामी गिरामी कंपनी का एक मोबाइल फोन मई 2017 में खरीदा।

कोर्ट में पानी में डाला गया मोबाइल फोन।

साहिल के अनुसार, कंपनी का दावा था कि यह मोबाइल फोन वाटरप्रूफ है और पानी में खराब नहीं होता। इसी कारण उसने यह मोबाइल खरीदा, लेकिन कुछ दिन बाद ही यह खराब हो गया।इसके बाद कंपनी के सर्विस सेंटर के चक्‍कर लगा-लगाकर वह थक गया।

ग्राहक बोला- मई में खरीदा था मोबाइल और जुलाई से काट रहा हूं चक्कर

साहिल जसवाल उर्फ लक्की के मुताबिक उन्होंने इस मोबाइल को मई 2017 में शहर के एक शोरूम से खरीदा था। करीब दो माह के बाद मोबाइल में दिक्कत आनी शुरू हुई तो सर्विस सेंटर में संपर्क किया । उसके बाद से अभी तक यह इंतजार कर रहा है कि मोबाइल ठीक कब होगा। उनके मुताबिक कंपनी का दावा था कि मोबाइल करीब आधा घंटा तक एक तय मात्रा में पानी में डाले जाने के बाद भी खराब नहीं होता।

कोर्ट में पानी में डाला गया मोबाइल फोन।

साहिल ने बताया कि वह कंपनी से राहत नहीं मिलने पर उपभोक्‍ता कोर्ट की शरण में पहुंचा। कोर्ट में ही दो बार पानी से भरे बर्तन में मोबाइल फोन को डाला गया तो वह बंद हो गया। हालांकि, अदालत के स्तर पर पहले ही आदेश दिया जा चुका है कि कंपनी उपभोक्ता को मोबाइल पूरी तरह ठीक करके दें या उसकी जगह नया सेट दे। 

कोेर्ट ने माेबाइल फोन पूरी तरह ठीक नहीं होने की सूरत में कंपनी से उसकी पूरी कीमत 56 हजार 900 रुपये और हर्जाने के रूप में  साढ़े सात हजार रुपये की राशि भी देने का आदेश दिया। उपभोक्ता साहिल जसवाल के मुताबिक मई 2017 में खरीदे इस मोबाइल में जब भी दिक्कत आई तो सर्विस सेंटर गया अौर उसे वहां से यह बोल कर मोबाइल दे दिया जाता कि यह ठीक हो गया है। लेकिन, कुछ दिनों के बाद दोबारा दिक्कत आ जाती थी। उपभोक्ता अदालत में जाने के बाद उम्मीद बनी है कि जल्द ही समाधान हो जाएगा।

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अधिवक्ता रजनीश शर्मा के मुताबिक उपभोक्ता अदालत द्वारा साहिल के पक्ष में दिए गए आदेश में स्पष्ट तौर पर उन्हें राहत मुहैया कराए जाने के साथ-साथ हर्जाना भी दिए जाने की बात कही गई है। कंपनी के दावे की जांच के लिए कोर्ट में दो दफा मोबाइल को पानी में डाला जा चुका है। लेकिन उत्पाद दावे पर खरा नहीं उतरा। बहरहाल, इस मामले पर अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को है।


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