पराली निपटान को लेकर कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने सरपंचों को दिलवाई शपथ
जागरण संवाददाता, झज्जर : कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ का कहना है प्रदेश सरकार परा
जागरण संवाददाता, झज्जर :
कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ का कहना है प्रदेश सरकार पराली व फसलों के अवशेष निपटान के लिए गंभीर है। सरकार के स्तर पर पराली निपटान के लिए विभिन्न रूपों में इसका इस्तेमाल करने की दिशा में कदम भी उठाए जा रहे हैं। अवशेष निपटान के लिए उपकरण को इस्तेमाल करने पर सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है। इन प्रयासों में जागरूकता की अहमियत से कतई समझौता नहीं किया जा सकता। बेशक ही सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे है। चूंकि समस्या सामूहिक है। इसलिए प्रयास सामूहिक हो तो हमें शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। दैनिक जागरण की ओर से भी पराली निपटान को लेकर जो जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। अत्यंत सराहनीय पहल है। इस प्रकार के ही प्रयास समाज को दिशा देने का काम करते हैं। यह बात उन्होंने जिला मुख्यालय स्थित संवाद भवन में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सरंपचों को शपथ दिलाने के बाद कही। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को पराली नहीं जलाएंगे विषय को लेकर शपथ दिलवाई।
समापन अवसर पर धनखड़ ने स्वयं भी जागरण के आह्वान पर शपथ पत्र भरा और उपस्थित सभी को प्रेरित किया।
कृषि मंत्री ने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में स्मॉग को लेकर हम भी ¨चतित हैं और इस समस्या के समाधान के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। भविष्य में भी इस समस्या से निपटने के लिए हमने दो सुझाव केंद्रीय मंत्रियों को दिए हैं ताकि पराली का निपटान आसानी से हो सके।
धनखड़ ने यह भी कहा कि सरकार पराली के दूसरे प्रयोगों के लिए भी काम कर रही है। जागरूकता के माध्यम से विभाग किसानों को पूरी तरह अवगत करवा रहा है। इसके अलावा एथनॉल में, खाद में गत्ता बनाने में पराली के इस्तेमाल पर काम हो, इस पर भी हम लगे हैं। सरकार इस मामले में पूरी तरह से संवेदनशील है और हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सभी को सामाजिकता के साथ भी काम करना चाहिए।
इस मौके पर मुख्य रूप से एडीसी सुशील सारवान, एसडीएम झज्जर रोहित यादव, एसडीएम बादली त्रिलोक चंद, सीटीएम अश्विनी कुमार, डीडीपीओ विशाल कुमार, कार्यकारी अभियंता युनुस खान, जिला परिषद के वाइस चेयरमैन योगेश सिलानी, बिजेंद्र मांडौठी सहित विभिन्न गांवों के सरपंच एवं उनके प्रतिनिधि मुख्य रूप से मौजूद रहे।