हाइड्रा तकनीक पर ही चलेंगे भट्ठे, बिना व्यवस्था के पीएनजी को नहीं अपनाएंगे
झज्जर के बाबरा रोड स्थित वाटिका में आयोजित एनसीआर के भट्ठा संचालक एसोसिएशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इस बैठक में प्रदेश के आठ जिलों की भट्ठा एसोसिएशन के जिला प्रधान व प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
जागरण संवाददाता, झज्जर : एनसीआर के भट्ठा संचालक हाइड्रा तकनीक से ही भट्ठे चलाएंगे। हाइड्रा तकनीक के आधार पर ही एनजीटी कोर्ट में केस लड़ा जाएगा। बिना किसी व्यवस्था के पीएनजी प्रणाली को भट्ठा संचालक नहीं अपनाएंगे।
झज्जर के बाबरा रोड स्थित वाटिका में आयोजित एनसीआर के भट्ठा संचालक एसोसिएशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इस बैठक में प्रदेश के आठ जिलों की भट्ठा एसोसिएशन के जिला प्रधान व प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वहीं बैठक की अध्यक्षता एनसीआर के प्रधान सुरेंद्र चौहान ने की। उन्होंने बैठक में भट्ठों को जल्द से जल्द खोलने की मांग उठाई और इसको लेकर रणनीति भी बनाई। बैठक का संचालन झज्जर भट्ठा एसोसिएशन के प्रधान विनोद गुलिया ने किया। चार माह से बंद पड़े हैं ईंट भट्ठे
एनसीआर के प्रधान सुरेंद्र चौहान ने कहा कि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) ने भट्ठे चलाने पर रोक लगाई हुई है। इस कारण पिछले चार माह से सभी भट्ठे बंद पड़े है। इसलिए भट्ठा संचालकों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। ऐसे में चाहिए कि जल्द से जल्द भट्ठे शुरू किए जाए। उन्होंने बताया कि भट्ठे खोलने के निर्णय के लिए एनजीटी ने 11 जनवरी 2021 की तारीख दी हुई है। वहीं भट्ठों की तकनीक अपग्रेड करते हुए पीएनजी तकनीक अपनाने के लिए कहा जा रहा है। साथ ही इसको लेकर एक कमेटी का भी गठन किया गया है। सांसद, विधायक व मंत्रियों से मिलेंगे भट्ठा संचालक
सुरेंद्र चौहान ने कहा कि सभी भट्ठा संचालक भट्ठे जल्द से जल्द खोलने की मांग को लेकर सांसद, विधायक व मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री से मिलकर भट्ठों को जल्द से जल्द खोने की अनुमति दिलाने पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भट्ठे हाइड्रा तकनीक पर चल रहे हैं और इसी तकनीक पर चलेंगे। पीएनजी तकनीक को नहीं अपनाया जाएगा, क्योंकि पीएनजी तकनीक को लेकर अभी पूरी व्यवस्था तक नहीं हैं। इस बैठक में झज्जर, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, गुरुग्राम, रेवाड़ी, पानीपत व सोनीपत जिलों के भट्ठा एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पीएनजी तकनीक से भट्ठे चलाने की अब तक नहीं व्यवस्था
झज्जर भट्ठा एसोसिएशन के प्रधान विनोद गुलिया ने कहा कि अब तक ऐसी व्यवस्था ही नहीं है कि भट्ठा संचालक चाहते हुए भी पीएनजी तकनीक को अपना सकें। मजबूरन हाइड्रा तकनीक पर ही काम करना पड़ेगा। हाइड्रा तकनीक में भट्ठा संचालक ईंट पकाने के लिए कृषि के अवशेष व अन्य ईंधन का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन पीएनजी तकनीक में भट्ठे पर ईंट पकाने के लिए गैस का इस्तेमाल करना पड़ेगा। घरों में प्रयोग के लिए तो गैस बड़ी मुश्किल से मिलती है तो भट्ठों के लिए कहां से मिलेगी। ऊपर से गैस पर आने वाले खर्च, इस्तेमाल, सुरक्षा आदि से भी भट्ठा संचालक अनजान हैं। ऐसे में नए-नए नियम थौंपने से भट्ठा संचालक परेशान हो रहे हैं। प्रधान विनोद गुलिया ने कहा कि केवल कहने मात्र से पीएनजी तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो सकता। इसके लिए सरकार द्वारा भी पूरी व्यवस्था तैयार करनी होगी। भट्ठों तक बिजली तो समय से पहुंचती नहीं, ऐसे में गैस कहां से पहुंचेगी। प्रदूषण फैलाने के लिए भट्ठे बदनाम किए जा रहे
पलवल से भट्ठा एसोसिएशन के जिला प्रधान योगेश ने कहा कि भट्ठे बंद होने के कारण काफी नुकसान हो रहा है। फिलहाल सभी भट्ठा संचालक 11 जनवरी को एनजीटी कोर्ट में तारीख है, इस दौरान सरकार का इंतजार कर रहे हैं। सोनीपत से धर्मेंद्र दहिया ने कहा कि एनजीटी भट्ठे खोलने को लेकर छूट दे। ताकि भट्ठा संचालक इस आर्थिक संकट से उभर सकें। वहीं रेवाड़ी से सुधीर यादव ने कहा कि केवल भट्ठों से ही प्रदूषण नहीं होता। पिछले करीब 4 माह से भट्ठे बंद पड़े हैं, फिर भी प्रदूषण का स्तर कम नहीं हो रहा। भट्ठों को केवल बदनाम किया जा रहा है।