Move to Jagran APP

बड़ा सवाल, एक दुकान पर बगैर फार्मासिस्ट मिलने पर लाइसेंस सस्पेंड, अस्पताल में आखिर कौन बांट रहा दवाइयां

जागरण संवाददाता झज्जर तीन दिन के सामूहिक अवकाश के बाद फार्मासिस्टों ने अनिश्चितकालीन

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 11:39 PM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 06:46 AM (IST)
बड़ा सवाल, एक दुकान पर बगैर फार्मासिस्ट मिलने पर लाइसेंस सस्पेंड, अस्पताल में आखिर कौन बांट रहा दवाइयां
बड़ा सवाल, एक दुकान पर बगैर फार्मासिस्ट मिलने पर लाइसेंस सस्पेंड, अस्पताल में आखिर कौन बांट रहा दवाइयां

जागरण संवाददाता, झज्जर :

loksabha election banner

तीन दिन के सामूहिक अवकाश के बाद फार्मासिस्टों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। फार्मासिस्टों की हड़ताल के चलते अस्पतालों में मरीजों को दवाइयों के लिए भटकना पड़ रहा है। हालात ऐसे बन रहे कि चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली दवाइयां स्टोर में नहीं मिलने की स्थिति में उन्हें बाहर से भी लेना पड़ रहा है। ऐसे में मरीजों पर दोहरी मार पड़ रही है। शुक्रवार के दिन की शुरूआत अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों के लिए और ज्यादा परेशानी के साथ हुई। कारण कि सुबह 8 से 10 बजे तक चिकित्सक भी अपनी मांगों को लेकर यहां सांकेतिक हड़ताल पर बैठें। जिससे माहौल काफी अस्त व्यस्त बना रहा। लोग अपना कॉर्ड बनवाने के बाद चिकित्सकों का इंतजार करते रहे। हालांकि, हड़ताल सांकेतिक थी, इसलिए परेशानी ज्यादा नहीं हुई। बाद में इन सभी चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकर दिन भर अपना काम किया। मांगों को पूरा नहीं जाने की स्थिति में एक सितंबर को राज्य स्तर पर होने वाली बैठक में निर्णय लिए जाने की बात तय हुई है। अस्पताल में आखिर कौन बांट रहा दवाइयां : फार्मासिस्टों के संगठन ने यहां बढि़या ढंग से अपनी बात रखते हुए बड़ा सवाल उठाया है। कहना है कि जब एक दवाइयों की दुकान बगैर फार्मासिस्ट मिलने पर लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है तो यह भी देखा जाना चाहिए कि अस्पताल में आखिर कौन दवाइयां बांट रहा है। मौजूदा समय में स्थिति पेंचीदा बनने लगी है। स्टॉक की दवाइयां पहले से कम हो रही है। हड़ताल तीन से चार दिन ऐसे ही चली तो स्टॉक लगभग खत्म हो जाएगा। ऐसी स्थिति में सीधे रूप से मरीजों की दिक्कत बढ़ना स्वभाविक है। कहा कि फार्मासिस्ट वर्ग एक शिक्षित वर्ग है, जिसने आज तक प्रदर्शन नहीं किया था, लेकिन सरकार द्वारा जब उपेक्षा अधिक की जाती रही, तो मजबूरीवश फार्मासिस्ट वर्ग भी प्रदर्शन करने के लिए विवश हुआ। वित्त विभाग जान बूझकर परेशान कर रहा है, मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के स्तर पर मांग मंजूर हो जाने के बाद रोड़ा अटकाया गया है। उन्होंने सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप से मुलाकात करते हुए पूछा कि आखिर ऐसी क्या नौबत आ गई कि ताला तोड़ते हुए स्टॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। फार्मासिस्ट की मांगें :

- वेतन विसंगति दूर करके 4600 ग्रेड पे दिया जाए

- प्रमोशन चैनल लागू किया जाए एवं नये पद सृजत किए जाएं

- डिप्टी डायरेक्टर (फार्मेसी) का पद भरा जाए

- पदनाम बदलकर फार्मेसी आफिसर किया जाए

- शैक्षणिक योग्यता बी फार्मा की जाए

चिकित्सकों की मांगें :

- विशेषज्ञ चिकित्सक या अतिरिक्त वेतन वृद्धि विशेषज्ञ चिकित्सकों को

- अन्य राज्यों की तर्ज पर एसीपी प्रदान किया जाना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.