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HAU ने किया कमाल का शोध, जंगली पेड़ों की जड़ाें से उगेंगी भरपूर सब्जियां

हिसार के एचएयू के वैज्ञानिकों ने जंगली पेड़़-पौधों की जड़ों से विभिन्‍न सब्जियों की उपज लेने की कमाल की विधि तैयार की है। इस विधि से बिना कीटनाशक सब्जियों की भरपूर उपज होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 05:09 PM (IST)
HAU ने किया कमाल का शोध, जंगली पेड़ों की जड़ाें से उगेंगी भरपूर सब्जियां
HAU ने किया कमाल का शोध, जंगली पेड़ों की जड़ाें से उगेंगी भरपूर सब्जियां

हिसार, [संदीप बिश्नोई]। यहां चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कमाल का शोध किया है। अब जंगली पेड़ों की जड़ों से सामान्य सब्जियां उगेंगी और इनकी उपज भी भरपूर होगी। इन पौधों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होगी आैर इनमें कीटनाशकों का इस्‍तेमाल भी नहीं करना पड़ेगा। इस तरह सब्जियों की किल्‍लत भी दूर होगी और यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होंगी। एसएयू के वैज्ञानिकों के इस शोध से किसानाें को सब्जियों की कम खर्च में अधिक उपज प्राप्‍त होगी।

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वैज्ञानिकों ने विकसित की ग्राफ्टिंग तकनीक, कीटनाशकों का नहीं करना पड़ेगा प्रयोग, सुधरेगी लोगों की सेहत

एचएयू के वैज्ञानिकों ने प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने और उपभोक्ताओं को रसायनों के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए यह ग्राफ्टिंग तकनीक विकसित की है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली जंगली पेड़ों की जड़ों पर उच्च पैदावार वाली सब्जियों की पौध लगाए जाएंगे।

इन समस्याओं के समाधान पर फोकस

यह पौध मुख्य रूप से किसानों की चार समस्याओं को ध्यान में रखकर विकसित की जा रही हैं। जड़ में गांठों के कारण पौधे का विकास रुकना बड़ी समस्या है। इसके अलावा मिट्टी में फ्यूजेरियम (एक तरह का फंगस) व नीमाटोड (कृमि) के कारण पौधे सूख जाते हैं। कई क्षेत्रों में खारे या लवणीय पानी, बहुत अधिक तापमान और बेहद कम बारिश की भी समस्याएं हैं। क्षेत्र विशेष की समस्या के प्रतिरोधक जड़ को चुनकर कम उर्वरक, पानी, रसायन या अन्य तत्वों के न्यूनतम प्रयोग से भी उच्च गुणवत्ता वाली फसल का अधिक उत्पादन लिया जा सकेगा।

हिसार के एचएयू में तैयार किए जा रहे सब्जियों के पौधे।

उदाहरण के तौर पर जहां बारिश कम होती है, वहां ऐसी जंगली जड़ों पर सब्जियों की पौध विकसित की जाएगी, जिनकी ग्रोथ कम पानी में भी जल्दी हो। ऐसे ही जहां मिट्टी की बीमारियां हैं, वहां खुद उगने वाले पौधों की जड़ों पर सब्जियों के पौधों की ग्राफ्टिंग की जाएगी।

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यह है ग्राफ्टिंंग तकनीक

सब्जी विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक डाॅ. इंदु आरोड़ा ने बताया कि ग्राफ्टिंग प्रक्रिया के तहत दो अलग-अलग पौधों को उनके गुणों और उत्पादन के आधार पर एक साथ जोड़कर एक नया पौधा तैयार किया जाता है। उदाहरण के तौर पर जंगली पौध के तने को बीच से तिरछा काट लिया जाता है। फिर ऐसे ही सब्जियों की पौध को विपरीत दिशा में तिरछा काट कर जंगली पौध वाली तने पर सत्यापित कर क्लिप लगा दी जाती है।

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हिसार के एचएयू में तैयार किए जा रहे सब्जियों के पौधे।

सब्जियों के उत्पादन के साथ बढ़ेगी आमदनी

सब्जी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. वीके बतरा के अनुसार ग्राफ्टिंग से जहां जैसा वातावरण है, वहां उसी के अनुरूप सब्जियों की अधिक उपज ली जा सकेगी। इससे किसानों की आय में भी इजाफा होगा। इसके अलावा किसानों को भी ग्राफ्टिंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। बेरोजगार युवा इस विधि को सीखकर इसे व्यवसाय के रूप में भी अपना सकेंगे।

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'' ग्राफ्टिंग पर शोध पीपीपी मोड पर किया जा रहा है। इसमें हम बीमारी रहित व कम पानी में होने वाली सब्जियों को विकसित करने पर काम कर रहे हैं। आने वाले समय में सब्जियों की बढिय़ा व उन्नत किस्मों की पौध विकसित करके किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि हर वर्ष 25 लाख पौध किसानों को दी जाएं। ताकि उत्पादन और गुणवता बढ़े और दिल्ली-एनसीआर की मार्केट पर हमारे किसान कब्जा कर अपनी आय बढ़ाएं। विश्‍वविद्यालय ने जंगली पौधों की जड़ों पर अलग-अलग पौधों की ग्राफ्टिंग पर शोध कार्य शुरू किया है।

                                                                                               - प्रो. केपी सिंह, कुलपति,एचएयू, हिसार।


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