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50 लाख रुपये मुआवजा व एक सरकारी नौकरी दे सरकार - बजरंग गर्ग

- जबरन क्यों कानून थोपना चाह रही सरकार गर्ग ने उठाया सवाल

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 06:00 AM (IST)
50 लाख रुपये मुआवजा व एक सरकारी नौकरी दे सरकार - बजरंग गर्ग
50 लाख रुपये मुआवजा व एक सरकारी नौकरी दे सरकार - बजरंग गर्ग

- जबरन क्यों कानून थोपना चाह रही सरकार, गर्ग ने उठाया सवाल

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- बड़े राजनीतिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार उठा रही कदम फोटो : 01 तथा 02 संवाद सूत्र, बेरी : व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने व्यापार मंडल की तरफ से किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए डीघल टोल प्लाजा पर बोलते हुए कहा कि देश व प्रदेश में सबसे ज्यादा किसान दुखी है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है की किसान अपनी जमीन व फसल बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में 47 दिनों से सड़कों पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं। जिसमें लगभग 65 किसान अपनी जान की कुर्बानी दे चुके हैं। गर्ग ने किसान आंदोलन में मृतकों के परिवार को सरकार की तरफ से कम से कम 50 लाख रुपये मुआवजा व एक सरकारी नौकरी दी जाए और किसानों पर झूठे मुकदमे तुरंत प्रभाव से सरकार वापस ले।

गर्ग ने कहा कि जब देश व प्रदेश का किसान व आढ़ती तीन कृषि कानून नहीं चाहता तो केंद्र सरकार क्यों जबरन किसान व आढ़तियों पर यह काले कानून थोपना चाहती है। यह बात समझ से परे है इससे साफ सिद्ध होता है कि प्रधानमंत्री अपने चहेते व्यापारियों व बड़ी-बड़ी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह कृषि कानून बनाएं है। गर्ग ने मोदी से अपील की है कि वह अपनी जिद छोड़ कर तीन कृषि कानून तुरंत प्रभाव से वापस ले और आज देश में जो किसानों के साथ टकराव की स्थिति सरकार ने बना रखी है उसे खत्म किया जाए। जबकि, तीन कृषि कानून से किसान, आढ़ती, मजदूर, मंडी में काम करने वाले मुनीम, ट्रांसपोर्टर बर्बाद हो जाएंगे और देश में पहले से ज्यादा महंगाई बढ़ेगी और लाखों लोग बेरोजगार होंगे। कृषि कानून से सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों को लाभ होगा और देश व प्रदेश की आम जनता को बड़ा भारी नुकसान है। इसलिए देश का हर वर्ग किसान आंदोलन के साथ मजबूती से खड़ा है। इस अवसर पर व्यापार मंडल प्रदेश महासचिव रमेश खुराना, हरियाणा किसान यूनियन महासचिव डम्पी पहलवान, प्रधान जय सिंह अहलावत, जय भगवान लोघल, सरपंच हंसराज, नरेश अहलावत, मांगेराम सरपंच, रमेश धनधस आदि किसान नेताओं ने अपने विचार रखे।


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