सेरेमिक टाइल निर्माता कंपनी से वसूली 5.78 करोड़ की राशि
करीब 10 साल पहले डिफाल्टर हुई सेरेमिक टाइल निर्माता कंपनी से आबकारी एवं कराधान विभाग ने छह साल का सेल्स टैक्स एक ही झटके में वसूल कर लिया है। विभाग को यह सफलता डीइटीसी कुलदीप मलिक व उसकी टीम को मिली है। टीम ने नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में मजबूती से अपना पक्ष रखा और ट्रिब्यूनल ने कंपनी को टैक्स की पूरी राशि जमा कराने के आदेश दिए। एनसीएलटी के आदेश होने के बाद कंपनी की ओर से विभाग को करीब 5 करोड़ 7
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: करीब 10 साल पहले डिफाल्टर हुई सेरेमिक टाइल निर्माता कंपनी से आबकारी एवं कराधान विभाग ने छह साल का सेल्स टैक्स एक ही झटके में वसूल कर लिया है। विभाग को यह सफलता डीइटीसी कुलदीप मलिक व उसकी टीम को मिली है। टीम ने नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में मजबूती से अपना पक्ष रखा और ट्रिब्यूनल ने कंपनी को टैक्स की पूरी राशि जमा कराने के आदेश दिए। एनसीएलटी के आदेश होने के बाद कंपनी की ओर से विभाग को करीब 5 करोड़ 78 लाख रुपये की राशि जमा करा दी है। टैक्स की पूरी रिकवरी होने के बाद विभाग ने अटैच की गई सारी प्रापर्टी वापस कंपनी को सुपुर्द कर दी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि टैक्स की अन्य डिफाल्टर कंपनियों से भी टैक्स की वसूली तेज की गई है। ऐसी कंपनियां या तो अपने बकाया टैक्स की राशि जमा करवा दें अन्यथा उनकी भी प्रापर्टी अटैच कर दी जाएगी।
दरअसल, 29 दिसंबर 1995 को जाखोदा में त्रिपूति सेरेमिक लिमिटिड के नाम सेरेमिक टाइल बनाने एक कंपनी खुली थी। चूंकि उस समय हरियाणा में हरियाणा जरनल सेल्स टैक्स एक्ट 1973 चलन में था तो इस एक्ट के तहत खुलने वाली सभी कंपनियों को पहले पांच साल तक कोई भी टैक्स जमा नहीं कराना था लेकिन इसमें एक शर्त यह भी थी कि कंपनी को अगले पांच साल तक पहले पांच साल के अनुमानित टैक्स की बराबर राशि सरकार के खाते में टैक्स के रूप में जमा करानी होगी। साथ में यह भी शर्त थी कि अगर कंपनी पांच साल बाद आगामी एक साल कोई टैक्स जमा नहीं कराता है तो ऐसी स्थिति में वह कंपनी टैक्स की छूट के दायरे से बाहर हो जाएगी और उस कंपनी से पिछले पांच साल का भी टैक्स वसूला जाएगा। इस कंपनी ने भी पहले पांच साल तो छूट की वजह से कोई टैक्स जमा नहीं कराया और उसके बाद भी कोई टैक्स जमा नहीं कराया। इस बीच कंपनी वर्ष 2002 में बंद हो गई और यहां से चलती बनी। जब यह मामला आबकारी एवं कराधान विभाग को पता चली तो कंपनी बंद होने के छह साल बाद 30 अप्रैल 2008 को विभाग ने केलकुलेशन करके 3 करोड़ 16 लाख 74 हजार 852 रुपये का डिमांड नोटिस कंपनी को भेज दिया। इसमें हरियाणा जरनल सेल्स टैक्स (एचजीएसटी) की 57 हजार 985 रुपये और इस राशि पर ब्याज 5 लाख 55 हजार 238 रुपये तथा सेंट्रल सेल्स टैक्स 1 करोड़ 42 लाख 21131 रुपये तथा इस राशि पर ब्याज 1 करोड़ 65 लाख 22 651 रुपये बना। ---डिमांड नोटिस जाने के बाद कंपनी ने जमा नहीं कराया टैक्स, विभाग ने कर दी कंपनी की प्रापर्टी अटैच कंपनी ने टैक्स की यह राशि जमा नहीं की तो विभाग ने कंपनी के पांच एकड़ जमीन व अन्य प्रापर्टी को अटैच कर लिया। ऐसे में कंपनी विभाग के इस कदम के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में चली गई। मामले की सुनवाई के दौरान विभाग का पक्ष मजबूत रहा और एनसीएलटी ने ब्याज समेत यह राशि जल्द से जल्द जमा कराने के निर्देश दिए। कंपनी की ओर से विभाग को अब जाकर यह राशि जमा कराई है। ऐसे में विभाग ने पूरे ब्याज समेत 5 करोड़ 78 लाख 85 हजार 577 रुपये की राशि वसूल की है। --सेरेमिक टाइल निर्माता कंपनी से कई साल की टैक्स की रिकवरी की गई है। 10 साल बाद यह रिकवरी हो सकी। अब यहां पर अन्य डिफाल्टर कंपनियों को भी लिस्ट तैयार करके उन्हें भी डिमांड नोटिस भेजे जाएंगे। अगर टैक्स जमा नहीं हुआ तो उनकी भी प्रापर्टी अटैच कर दी जाएगी।
-------कुलदीप मलिक, डीइटीसी, बहादुरगढ़।