साथ आए, साथ रहे और एक साथ दुनिया से चले गए, बड़ी दुखभरी है अंश और वंश की कहानी
जोहड़ में डूबने से दोनों जुड़वा भाइयों अंश व वंश की मौत के बाद पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। हर किसी की जुबान पर दोनों का चंचल व मिलनसार स्वभाव है। हर कोई दोनों मासूम भाइयों से जुड़ी बातों को लेकर नम आंखों से याद कर रहा है
साल्हावास [विक्की जाखड़] साथ आए, साथ रहे और एक ही साथ चले गए...। कुछ इन्हीं शब्दों को गांव बंबुलिया के ग्रामीण नम आंखों से कहते हुए नजर आए। गांव के जोहड़ में डूबने से दोनों जुड़वा भाइयों अंश व वंश की मौत के बाद पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। हर किसी की जुबान पर दोनों का चंचल व मिलनसार स्वभाव है। हर कोई दोनों मासूम भाइयों से जुड़ी बातों को लेकर नम आंखों से उन्हें याद कर रहा है और परिवार का ढांढस बंधाने का काम कर रहे हैं। लेकिन, पूरे परिवार का बेटे के बिछुडऩे के कारण बुरा हाल हो रखा है।
7 मार्च 2012 के दिन गांव बंबूलिया निवासी संदीप व उनकी पत्नी नीलम के घर दोहरी खुशी उस समय आई, जब नीलम ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। तीन बहनों के बाद हुए भाई की सूचना जैसे ही परिवार को मिली तो खुशियों की लहर सी दौड़ पड़ी। हर कोई दोनों बच्चों के जन्म पर खुशी मना रहा था और दोनों की लंबी उम्र का आशीर्वाद दे रहे थे। लेकिन एक मौका वह भी आया जब दोनों एक साथ दुनिया को अलविदा कह गए। करीब साढ़े 8 वर्ष की उम्र में 13 अक्टूबर का दिन उनके लिए मनहूस घड़ी साबित हुआ।
ताऊ रोहताश ने बताया कि मंगलवार को संदीप खेत में काम के लिए गया हुआ था। बच्चे भी खेतीबाड़ी के लिए गए हुए थे। दोपहर बाद को वे घर पर आ गए। जिसके बाद अंश व वंश खेलने के लिए जोहड़ की तरफ चले गए। उनके साथ दो अन्य बच्चे भी खेल रहे थे। अंश व वंश एक पिल्ले से खेल रहे थे। खेल-खेल में जोहड़ में कुछ दूर अंदर जाते ही दोनों एक गहरे गड्ढे में गिर गए। उनके साथ मौजूद बच्चों ने गांव में जाकर बताया। गांव के अनेक व्यक्ति जोहड़ पर पहुंचे। उन्होंने करीब आधे घंटे तक दोनों बच्चों को जोहड़ में खोजा। इसी दौरान एक व्यक्ति के पांव से दोनों भाइयों में से एक का शव लगा। दोनों भाइयों को जोहड़ से निकाल अस्पताल में लाया गया। यहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
दोनों अपने आप में थे पूरी दुनिया
ग्रामीणों ने बताया कि दोनों भाई अंश व वंश अपने आप में पूरी दुनिया थे। दोनों एक साथ होने के बाद उन्हें किसी तीसरे व्यक्ति की जरूरत नहीं होती थी। खुद आपस में खेलते रहते थे। दोनों में गहरा प्रेम था।
छोटे व लाड़ले भाई थे अंश व वंश
बंबूलिया निवासी संदीप को पांच बच्चे थे। सबसे बड़ी बेटी सरिता, दूसरे नंबर की निधि, तीसरे नंबर की पारूल और सबसे छोटे अंश व वंश। दोनों छोटे भाई होने के कारण लाड़ले थे। तीनों बहनें अपने भाइयों को लाड़-प्यार करती थी। लेकिन उन्हें क्या पता था कि भाई-बहनों के प्यार को मात्र करीब साढ़े 8 साल की उम्र ही लगी है। मासूम से उम्र में भाइयों ने दुनिया छोड़ दी।