यशपाल शर्मा रोहतक में कपिल देव के पहले मैच के बने गवाह, बाद में विश्व कप की जीत के नायक
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज यशपाल शर्मा का हरियाणा से भी नाता रहा है। उनकी हरियाणा खासकर रोहतक से खास यादें जुड़ी हुई हैं। अब वे इस दुनिया में नहीं रहे मगर उनकी प्रतिभा के किस्से हर किसी के जुबान पर हैं।
ओपी वशिष्ठ, रोहतक : 1983 विश्व कप जीतने वाली टीम के नायक भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज यशपाल शर्मा का हरियाणा से भी नाता रहा है। उनकी हरियाणा, खासकर रोहतक से खास यादें जुड़ी हुई हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने हरियाणा की तरफ से जब रणजी ट्राफी का पहला मैच खेला तो यशपाल शर्मा गवाह बने। बाद में कपिल देव के नेतृत्व वाली विश्व कप विजेता टीम के हिस्सा भी रहें। हरियाणा क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज एवं डायरेक्टर कोचिंग अश्वनी कुमार ने यशपाल शर्मा से जुड़े संस्मकरण दैनिक जागरण से साझा किए।
अश्वनी कुमार ने बताया 1975 में रोहतक के विश्वकर्मा स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ते थे। विश्वकर्मा स्कूल के क्रिकेट ग्राउंड में हरियाणा और पंजाब के बीच रणजी ट्राफी मैच हुआ। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव का यह पहला मैच था। पंजाब की टीम में यशपाल शर्मा खेलने पहुंचे थे। मैच मैटिंग पिच पर खेला गया क्योंकि मिट्टी की पिच उस वक्त नहीं थी। चूंकि उन्होंने भी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, इसलिए स्कोर बोर्ड चलाने का जिम्मा उन्हें ही सौंपा गया था। हरियाणा और पंजाब के बीच यह मैच आज भी याद है। दोनों टीमों ने यहां बेहतर मैच खेला।
कभी प्रतिंद्वद्वी को कभी साथ खेलने का मिला अवसर
अश्वनी कुमार ने बताया कि यशपाल शर्मा पंजाब की टीम से खेलते थे। लेकिन विश्व कप जीतने के बाद उन्होंने हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से भी दो-तीन सीजन रणजी ट्राफी मैच खेले थे। उनका भी हरियाणा की टीम में बतौर सलामी बल्लेबाज के तौर पर चयन हो गया। लंबे समय तक टीम का हिस्सा रहें। यशपाल शर्मा जब पंजाब की टीम में थे तो प्रतिद्वंद्वी के रूप में खेला और 1988-89 में जब यशपाल शर्मा हरियाणा की तरफ से खेले तो उनके साथ खेलने का अवसर मिला। उनमें खास बात यह थी कि जूनियर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते थे। उनका व्यवहार शालीन और सहयोगी रहा। पिछले दिनों वह कोरोना संक्रमित हो गए थे तो यशपाल शर्मा ने फोन पर स्वास्थ्य का हालचाल पूछा था।
रेस्ट-डे पर भी करते थे नेट प्रैक्टिस
अश्वनी कुमार ने बताया कि यशपाल शर्मा बहुत मेहनती थे। रेस्ट-डे में भी नेट प्रैक्टिस करते थे। हार्ड वर्किंग उनसे ही सीखने को मिली। हरियाणा की टीम 1991 रणजी ट्राफी चैंपियन बनी थी। हालांकि उस वक्त यशपाल शर्मा हरियाण के हिस्सा नहीं थे। लेकिन उनके मार्ग दर्शन और जूनियर खिलाड़ियों को मिले प्रोत्साहन की वजह से ही चैंपियन बनने का सौभाग्य मिला। आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में यशपाल शर्मा का 110 यार्ड की बाउंड्री पर मारा गया लंबा छक्का आज भी उनको याद है।