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जिस देश में संसाधनों का अत्यधिक दोहन, उस देश की सबसे जल्दी खत्म होती है सभ्यता

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में बुधवार को बायो सेफ्टी कैपेसिटी बिल्डिंग विषय पर राज्य स्तरीय वर्कशाप का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य वक्ता प्रो. रतनलाल ने कहा की जिस देश में संसाधनो का अत्यधिक दोहन होता है उस देस की सभ्यता सबसे जल्दी ख़त्म होती है।

By Edited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 03:53 PM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 11:19 AM (IST)
जिस देश में संसाधनों का अत्यधिक दोहन, उस देश की सबसे जल्दी खत्म होती है सभ्यता
जिस देश में संसाधनों का अत्यधिक दोहन, उस देश की सबसे जल्दी खत्म होती है सभ्यता
जागरण संवाददाता, हिसार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में बुधवार को बायो सेफ्टी कैपेसिटी बिल्डिंग विषय पर राज्य स्तरीय वर्कशाप का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य वक्ता प्रो. रतनलाल ने कहा की जिस देश में संसाधनो का अत्यधिक दोहन होता है उस देस की सभ्यता सबसे जल्दी ख़त्म होती है। उन्होंने प्राचीन सभ्यताओं का उदाहरण भी दिया उन्होंने भारत में ट्यूबवेल या नहर द्वारा जल भराव यानी खेत की सिंचाई ओर अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल हो रहे पेस्टीसाइड पर चिंता जताई। उन्होंने कहा देश में सूक्ष्म सिंचाई अपनाने ओर पेस्टीसाइड कम करने की ज़रूरत है। प्रोफेसर रतनलाल ने कहा कि भूमि की गुणवत्ता को भारत में ख़राब हो गई है पेस्टीसाइड सहित तमाम फर्टिलाइजर की एफबी, सीएनसी/सीएनसी बेहद कम है। भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो गई है हालांकि कई अन्य देशों से भारत की उपजाऊ क्षमता अभी भी ठीक है लेकिन हमें जल्द से जल्द हालात सुधारने पर काम करना होगा। अमेरिका में केवल 10 फीसदी ज़मीन पर ही आर्गेनकि खेती हो रही है। इसलिए भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में गोबर और फसल अवशेषों को जलाने की बजाय बायो गैस बायो फ्यूल आर्गेनिक खाद आदि में परिवर्तित करने की ज़रूरत है।

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