ईमानदारी से काम करें तो वायु प्रदूषण से निपट सकते हैं
डा. सुनीता श्योकंद ने कहा कि दिन-प्रतिदिन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जो चिंताजनक है। उन्होंने प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए कहा कि कोविड-19 के समय में वायु प्रदूषण से दुष्परिणाम और भी बढ़ गए हैं।
जागरण संवाददाता, हिसार : राइट-टू क्लीन एयर संस्था के द्वारा बहुत चर्चित विषय फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले प्रदूषण पर एक ऑनलाइन वेबिनार फसल अवशेष को जलाना कारण और निवारण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञों, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी और किसानों सहित 30 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संचालिका डा. सुनीता श्योकंद ने कहा कि दिन-प्रतिदिन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जो चिंताजनक है। उन्होंने प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए कहा कि कोविड-19 के समय में वायु प्रदूषण से दुष्परिणाम और भी बढ़ गए हैं।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी आरओ भोसले ने वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों और उसके मानव पर पड़ रहे दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि ईमानदारी से ऐसे प्रयास करें जिससे कि वायु प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सके।
कार्यक्रम में कृषि अभियंत्रिकी महाविद्यालय, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के विज्ञानी डा. मुकेश जैन ने कहा के धान की कटाई के पश्चात गेहूं की फसल की बुवाई के बीच का अंतराल कम होने की वजह से और खेतों को जल्दी खाली करने के लिए किसान कई बार पराली में आग लगा देते हैं, जोकि उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि पराली में काफी मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और कार्बनिक पदार्थ होते हैं। अत: पराली का उपयोग खाद बनाने में भी किया जा सकता है। उन्होंने स्लाइड्स के माध्यम से विभिन्न चित्र तथा वीडियो दिखा करके कई प्रकार की मशीनों द्वारा पराली प्रबंधन का सुझाव दिया।