Womens week special: कोरोना काल में फर्ज के लिए परिवार से दूर रहीं रोहतक की एएसआइ पूनम
एएसआइ पूनम ड्यूटी के साथ परिवार को संभालने की जिम्मेदारी से भी पीछे नहीं हटीं। पति भी पुलिस में कार्यरत हैं। एक शहर एक विभाग फिर भी कई दिन पति से मुलाकात नहीं होती थी। महामारी में खुद की परवाह किए बिना फर्ज निभाया।
हिसार/रोहतक, [ओपी वशिष्ठ]। कोरोना महामारी को बड़ा खौफ था। सरकार ने कोरोना संक्रमण के बचाव को लेकर लॉकडाउन भी लगाना पड़ा। हर कोई खुद को सुरक्षित रखने के लिए घर से बहार निकलने में हिचक रहा था। लेकिन कुछ फ्रंट लाइन वर्कर्स थे, जो इस महामारी में खुद की सुरक्षा की परवाह किए बिना अपनी फर्ज निभाने के लिए घर से बाहर थे। इनमें से एक हैं सहायक निरीक्षक पूनम दहिया।
इनके पति भी पुलिस महकमे हैं समान पद पर कार्यरत हैं। एक शहर, एक विभाग में होने के बावजूद कोरोना काल में इनका आपस में कई-कई दिन तक मिलना भी नहीं हो पाता था। साथ में बच्चों की ममता और बुजुर्ग सास-ससुर की सेवा भी करनी थी। लेकिन पूनम ने इसकी परवाह नहीं की और खाकी के फर्ज के साथ-साथ एक मां और एक बहू की जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया। हालांकि बाद में पूनम और उनके पति भी कोरोना की चपेट में आ ही गए। लेकिन उन्होंने कोरोना को भी अपनी दृढ इच्छा शक्ति से हराया और फिर अपनी ड्यूटी पर लौटीं।
आम नागरिक की तरह लोगों को जागरूक किया
जसबीर कालोनी निवासी पूनम दहिया हरियाणा पुलिस में सहायक निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। कोरोना महामारी के दौरान मार्च-अपैल में उनकी ड्यूटी अर्बन एस्टेट थाने में थी और नए बस स्टैंड नाके पर तैनात किया गया था। लॉकडाउन था, लोग घर से बाहर निकलने की जिद करते थे, लेकिन उन्होंने पुलिस की तरह नहीं बल्कि आम नागरिक की तरह लोगों को जागरूक किया और घरों में रहने के लिए प्रेरित किया। जब कोई प्यार से नहीं मानते तो थोड़ी सख्ताई भी करती क्योंकि कोरोना महामारी से बचने के लिए घर में रहना ही एक बचाव था। उनके पति सोमबीर दहिया नई अनाज मंडी में तैनात थे। दोनों ही खाकी का फर्ज निभा रहे थे, उनके लिए पहले ड्यूटी और बाद में परिवार हो गया था।
बच्चों से भी रहना पड़ा दूर
पूनम दहिया बताती हैं, कोरोना महामारी उनके लिए नई चुनौती थी। बस यहीं पता कि शारीरिक दूरी और मास्क ही इसका बचाव है। बस स्टैंड नाके पर ड्यूटी रहती थी। घर जाती तो वहां बच्चों से दूर रहना पड़ता। लेकिन उनके लिए खाना भी जरूरी था। क्योंकि दोनों छोटे बच्चे और सास-ससुर बुजुर्ग है। इसलिए डर रहता था कभी उनकी वजह से बच्चों या सास-ससुर को कोरोना संक्रमण न हो जाए। इसलिए खुद को सैनिटाइज करने के बाद सीधे रसोई में जाती, खाना बनाकर बच्चें को उनके कमरे में दे देती। काफी समय तक तो बच्चों के साथ बैठकर खाना तक नहीं खाया।
आखिर में कोरोना से खुद भी हो गई संक्रमित
पूनम ने बताया कि सितंबर माह में वह कोरोना संक्रमित हो गई। पति सोमबीर भी कोरोना संक्रमित हो गए। बच्चों और सास-ससुर को सोनीपत जेठ संदीप के पास भेजा गया ताकि उनको कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके। उनके लिए चुनौतियां बहुत थी, लेकिन अपनी ड्यूटी का फर्ज भी निभाना था। कोरोना महामारी के दौरान खाकी वर्दी में जो फर्ज निभाया, उसपर आज गर्व है। सोमबीर टिटौली चौकी इंचार्ज हैं जबकि पूनम सीआइए-2 में कार्यरत हैं।
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